संविधानसंगे धानके चिन्ता (थारु भाषा)

SAMSUNG DVC PICTURESरन्जना रौतार, कपिलबस्तु- धान खेतवम परल बा, मने संविधानमे आपन मनै चुन्ना काम फे नगिचे आ गइल बा। फिर भि गजेहडा–९ के राम अवतार थारू के अब होएना निर्वाचन मे भोट कसिक सहीसे डरना कहना अभिन तक पता नाई बा। उहाँ जैसनहि कपिलस्तु जिल्लामे ढेर मतदाता अनभिज्ञ बाटन् कि मत कईसे डरना कहना बातमे। ओइसही जितपुरके मधु शाही के तौन अब तक भोट कइसे ओ केकर खरतिन डरना, यी भोट डरले से का होई लगायतके बिषयमे शाहीके कुछ बात मालुम ना रहल कहलन्।

कपिलबस्तु जिल्ला निर्वाचन कार्यालयके प्रमुख काशीराम गैरेके अनुसार जिल्लाके हरेक निर्वाचन क्षेत्रमे ओ प्रत्येक गाबिसके कुल क्षेत्रके समेटके मतदाता शिक्षा कार्यक्रम सन्चालन होत रहल बा। गैरे कहलन् कि हमरे प्रत्येक क्षेत्रमे मतदाता शिक्षा कार्यक्रम सन्चालन करते बाटी, जेकर कारण से जिल्लामे मत बदर होएक सेक्ना सम्भावना एकदमे न्यनू बा।

होएक ते जेतने अगहन ४ आत बा, ओतने जिल्लामे चहल पहल तीब्र भईल बा। जहाँ एक दुई मनई पडोस के मनई एकट्ठे होएक पात बाटन्, उहाँ र्निवाचन के बिषयमे ब्यापक रुपमे छलफल करत बाटन् कि अब बन्न संबिधान सभामे किही जनता जिताइही औ के हम्मन बहि्रया संबिधान रच पाई? अपन डेहल मत ओइसे फाल्टु ते नाई जाई? कहना चिन्ता जनता लेहते बाटै।
दुसर ओ बरस भरके मेहनत कैके फरल धान कइसे जल्दी जल्दी घरे ओ भित्र्याई कहना दुसर चिन्ता लागल बा स्थानीय किसान के। एक सालके मेहनत बिगड जाई ते भुख्खे मरना अवस्था बा लेकिन यी अब बन्ना संबिधान बहि्रया से सब के हक अधिकार समेटके नाई बनी ते संबिधान बनले अर्थ नाइ बा कहलन बरवा–८ के प्रेम बहादुर चौधरी। उहाँ कहलन्– हर जातजाति भाषा भाषीके अधिकार के समेटके संबिधान बनेक चाही।

निर्वाचन मे भाग लेहना ओ अपनेक चाहल उमेद्धवार वा राजनैतिक दलके भोट देहना प्रत्येक मतदाताके कर्तब्य औ अधिकार हो। यी अर्थमे निर्वाचनमे सहभागी होईके उपयुक्त उमेद्ववारके छनोट कईके मुलुकके मुल कानुन बनैना प्रक्रियामे सहभागी होईके कुल जात जाति, भाषा भाषी आदिवासी,महिला पिछडल वर्गके अधिकार सुनिश्चित करेक सुनेहरा मौका के ना गवांई।

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