अविनाश चौधरी, धनगढी- दशियक् चहलपहलसंगे पच्छिउँ तराईक थारु गाउँमे सखिया ओ झुमरा नाचके रौनक सुरु हुईल बा। खास कर्के दशिया, देवारीमे नाच जैना यी नाच तमाम गाउँमे नच्ना सुरु करल स्थानीयहुक्रे जानकारी देले बटाँ। खेतुवामे धान पक्टी रहल बेला हरेक साँझ थारु गाउँमे नच्ना सखिया नाचके मंदरक आवाज रौनकता देहल बटैले बटैं।
“पहिले सिरिजिते गइल जलथल धरती रे साखिरे सिरिजीते गैल कुस कहिरे दाभ। आइतेरे गइलरे इसरु खेतीपातीक दिनवाँ रे साखिरे कहिया जैबौ इसरु हर जुवारे उहार।” अस्ते–अस्ते गित गैती सखिया नाच नाच्जाइथ।
आपन गाउँबासी दुई हप्ता आघेसे सखिया नाच नच्ना सुरु करल उर्मा–८ भादा गाउँके लक्ष्मी नारायण चौधरी बटैलैं। उहाँ दशियक बेला औरे नाचसे सखिया नाच विशेष महत्वके साथ नच्टी रहल जनैलैं।
दशिया अइना एक महिना आघेसे गाउँघरमे सखिया ओ झुमरा नाचके सुरसार हुईथ। दशैंके ढिक्रहुवक दिन यी मेरिक नाच रातभर गाउँघरमे नच्ना चलन फेन बा। गाउँके ५० से ७० जाने महिलाहुक्रे सखिया नाच नच्थैं।
दशियासे आघे यी नाच गाउँक भल्मन्सा (मटावाँ) लगायत अगुवाहुक्रनके घरमे नाच जाइथ। ओकरपाछे दशिया, देवारीमे हरेकके घरघरमे जाके नच्ना चलन रहल बसौटी–५ उजलीसेमर गाउँक मिश्रि प्रसाद चौधरी बटैलैं।
उहाँ २० बरससम् आपन गाउँमे सखिया नाच नै हुइलेसे फेन यी सालसे नच्ना सुरु करल जानकारी देलाँ। “यी सालसे ७० जाने लवरियाँहुक्रे सखिया नाचटैं”, चौधरी आघे कहँलैं–“पहिले नच्ना छोड्लेसे फेन हम्रे फेन आपन संस्कृति ओंर लाग सेक्ली।”
जौन गाउँमे सखिया नाचके मंदरा नै बाजल, ऊ गाउँमे का दशैं? कना कहकुट चलनचल्टीमे रहल ओरसे फेन गाउँमे सखिया नाच हुइटी आईल बटाजाईथ। मने, कौनो गाउँमे मोहि्रनियाँ (अगुवा) ओ मंदरिया नै रहल कारण नाच नै हुई सेकल चौधरी आपन धारणा रख्लैं।
लावा पुस्ता फिल्मी गितओंर आकर्षित हुईल यी बेला सखिया, झुमरा, दिन नचुवा जैसिन नाच प्रभावित हुईल तर्क कतिपय हुक्रनके बा। अब्बेके युवा पुस्ता आपन मौलिक कला संस्कृतिहे गम्हिंर रुपसे बुझे नै सेकल कैलालीके युवा साहित्यकार जित बहादुर चौधरी “ट्रासन” बटैलैं। उहाँ लावा पुस्ता आपन कला संस्कृतिहे महत्व देहे पर्ना आवश्यक रहल उल्लेख कर्लै। यद्यपि, कुछ ठाउँमे लावा पुस्ता फेन मौलिक नाचगान ओंर लग्टी रहल लक्ष्मी नारायण चौधरीके कहाई बा।
दाङ, बाँके, बर्दिया, सुर्खेत, कैलाली ओ कञ्चनपुरके तमाम गाउँमे थारुहुक्रे टरटिहुवारके बेला सखिया, झुमरा नाच नच्टी रहल स्थानीय लोगनके कहाई बा। ओइने देवारीसम् यी नाच नच्टी आइल बटैथाँ। थारुहुक्रे बर्खा ओ हिलामाटिक दिनहे बिदाई कर्के खुशीयाली स्वरुप टरटिहुवारमे सखिया, झुमरा नाच नच्टी रहल एकथरीके कहाई फेन बा।