विनिता चौधरी, देउखुर्नी- २०६९ अघन २१ गते रातके करीब २ वजे नेता परशु नारायण चौधरीके दुःखद निधन हुइलिन। कौनो समयम नोकर–चाकर, गाडी–मोटर ओ भेटघाट करुइयनसे भरीभराउ रहल ठाउँ आजकल सुनसान रहे। नेपाली कांगे्रसके महामन्त्री, भूपू मन्त्री ओ राजपरिषद स्थायी समितिक पूर्व सभापति परशु नारायण चौधरी भक्तपुरके लोकन्थलीम रहल आपन घरेम रहिट। लम्मा बिमार हुइल पाछे उहाँक् उपचार पाटन अस्पतालमे चल्टी रहे। पारिवारिक प्रेमसे बञ्चित उहाँहे पाछेक् समयमे भेटघाट करे थारू समुदायक् बिरले मनै पुगिन्। सरकारी सुविधा फेन कुछ नै उपभोग करेपैलक अवस्थामे उहाँहे भेटघाट करे राजनीतिक मनै फेन कोई नै झाँकी झँाकिन्। स्मरण शक्ति कम हुइटी गैलक उहाँ आपन मनके बात खुलस्त व्यक्त करे नै सेकिट। व्लडप्रेसर, सुगर ओ वाथ रोगसे पीडित चौधरीक कुछ बरस आगे गोरक् ठेहुनीक् अप्रेशन हुइल रहिन, जेकर कारण गोरा लरबराइन्।
२०६१ सालमे परशु नारायण महाजोर विमार परल रहिट, टिचिङ अस्पतालमे भर्ना होके ठीक हुइलक बाद भारत ओर धार्मिक यात्रामे निकरल रहिट। धार्मिक यात्रा कैके अइलाँ टे गोसिन्या ज्ञान कुमारी अचानक विमार पर्लिन ओ उहे लग्ले ओरागैलिन। गोसिन्या ओरैलीन टे उहाँ नितान्त अक्केली होगैल रहिट। “बाह्र छोरा तेह्र नाति बुढाको धोको काँधै माथि” कना नेपाली उखानहस उहाँक् कठीन दिन शुरु हुइल रहिन। दुई छावा आशुतोष ओ शुभास, एक छाई कल्पना चौधरी कैके तीन सन्तानके धनी उहाँक् जिन्गीम सन्तान सुख फेन नै मिल्लीन्। का करे कि छाई कल्पना चौधरीक् फेन २०५९ सालमे बस दुर्घटनामे अकालमे निधन होगैल रहिन्। यी ओर्से उहँाक् सन्तान मन्से दुई छावा, पटोहियन, नट्या नटिनियन फेन बटिन। लकिन बर्का छावा आशुतोष डिभी पर्के परिवारसहित अमेरिकामे ओ छुट्की छावा सुभास चेक गणतन्त्र चेकोस्लाभियामे घरजम कैके बैठल वटिन। बाबा मूलो पर छावा, पटुहिया कोइ नै अइलिन। भईयक छावा जगदीश नारायण उहाँहे दागबत्ती डेलिन्। कुछ बरस यहोर सुसारे मोना खत्री उहाँहे सेवा सुसार कर्टी रहिन्।
कौनो समयम् आपन समुदाय ओ देशके लाग अहोरात्र क्रियाशील मनै परशु नारायणहे पाछेक् समयमे न समाज साथ डेलिन, नाही थारू कल्याणकारिणी सभा, ना टे राज्य, न टे आपन खुद सन्तानके मजासे साथ पइलाँ। पहिले यी देश बनैना राजनीति कैलाँ, पाछे भाग्य यिहकिन दुःख डेना राजनीति करलिन। राजनीति करुइयनके दशा यदि सवकेमे अस्टे विटहीन कलेसे अइना पुस्ता का आशाले राजनीतिमे प्रवेश करी? भल्ही चितामे उहाँके अनुहारमे सन्तोषके भाव झल्के, मने थारु समुदायक ढुरखम्बा हुइलो पर फेन पाछेक समयमे मही परिवार, मोर समाज नैहेरल कना गुनासो कर्टी रहिही।
२०६८ साल असार १७ गते थारू पत्रकार संघके पदाधिकारीन्संगे बात कर्टी उहाँ कले रहिट– देशके यी अवस्था डेख्के मही बरा दुःख लागठ। सक्कु दल मिल्के सक्कु जात जातिन, आदिवासी ओ जनजातिन्हे सम्वोधन कैल संविधान हाली लिखक् छोर्के सक्कु नेता आपन स्वार्थ पूरा कर्नम् किल लागल बटाँ, जेकर मजा सन्देश जन्तनसम नैपुगठो। विडम्वना उहाँक् चिन्तन करलहस नेतन संविधानके चिन्तासे फेन कुर्सीक् चिन्ता बटिन।
राजनीतिक यात्रा
परशु नारायण चौधरीक् जन्म १९८४ साल अगहन ११ गते दाङदेउखुरी, गोवरडिहा–८ गोवरडिहा गाउँमे बाबा लीलाराम चौधरी ओ डाई कृष्णदेवी चौधरीक् कोखसे हुइल रहिन। २००७ सालसे पहिले राजनीतिक क्रान्तिमे कूद पर्लाँ। एमए, ओ बीएलके अध्ययन पूरा करल उहाँ २००९ सालमे नेपाली कांग्रेसके जनकपुरमे हुइलक महाधिवेशनमे दाङदेउखरके प्रतिनिधिक् रुपमे सहभागी होके नेपाली कांग्रेस पार्टी केन्द्रीय समितिक सदस्यम मनोनित हुइलाँ। २०१५ सालमे हुइलक आम निर्वाचनमे दाङ देउखुरी क्षेत्रसे नेपाली कंाग्रेसमे अत्याधिक वहुमतसे प्रतिनिधि सभामे विजयी हुइलाँ। २०१६ सालमे विपी कोइराला नेतृत्वके मन्त्रीमण्डलमे शिक्षा मन्त्री बन्ला।
२०१७ सालमे हुइल राजनीतिक परिवर्तनके बाद उहाँ ९ बरस भारतमे निर्वासित जीवन विटैलाँ। उहे समयमे सुवर्ण शमशेरके नेतृत्वमे प्रजातन्त्रके पुनर्स्थापनक् लाग संघर्ष कर्टी रहलाँ। २०१८ सालमे नेपाली कांग्रेसके पटना महाधिवेशनमे शुवर्ण शमशेरके अध्यक्षतामे महामन्त्री पदमे चुनगैलाँ। उहेलग्ले उहाँ २०३८ सालसम नेपाली कांग्रेसके महामन्त्री पदमे लगातार २० वरस रहलाँ। २०२५ सालमे राजा महेन्द्र आममाफी कर्लिन, टब शुवर्ण शमशेरके संगे उहाँ फेन स्वदेश लौट्लाँ। शुवर्ण शमशेर विपी कोइरालाहे सभापति पद हस्तान्तरण कैलाँ, टब परशु नारायण चौधरी वरिष्ठ महामन्त्री ओ गिरिजा प्रसाद कोइराला महामन्त्रीमे नियुक्त हुइलाँ। २०३६ सालमे नेपाली कांग्रेस भित्तर नीतिगत मतभेद सिर्जलिन ओ पार्टीसे चुनाव वहिष्कार कैगैल, टब उहाँ २०३८ सालमे नेका पार्टी त्यागके सुधारल पञ्चायती व्यवस्थामे लागगैलाँ। २०३९ सालमे राजा वीरेन्द्रसे राष्ट्रिय पञ्चायत व्यवस्थामे मनोनित होके २०४१ सालमे वाणिज्य तथ आपूर्ति मन्त्री बनके देश चलैलाँ। २०४३ सालके चुनावमे दाङ क्षेत्र नं. १ से भारी बहुमत के साथ जितके मरिचमान श्रेष्ठके मन्त्री परिषदमे फेन आपूर्ति मन्त्री ओ २०४४ सालमे पूनः वाणिज्य श्रम तथा समाज कल्याण मन्त्री ओ २०४३ से २०४६ साल सम शिक्षा तथा संस्कृति मन्त्री बनके शिक्षा ओ संस्कृतिके क्षेत्रमे योगदान पुगैलाँ। परशु नारायण राजनीतिबाहेक सामाजिक काममे फेन सकृय रहिंट। थारू कल्याणकारिणी सभाके संस्थापक मध्ये एक उहाँ २०४३ से २०४९ सम महामन्त्री पदमे ओ २०४९ से २०५३ सालसम थारू कल्याणकारिणी सभाक अध्यक्ष पदमे रैहके काम कर्लाँ। अस्टेके तराई विकास मञ्चके संस्थापक होके फेन काम कर्ला।
२०४६ सालके जनआन्दोलनके पाछे राप्रपामे लग्लाँ। पाछे आपन दौंतरी कृष्ण प्रसाद भट्ठराईक अनुरोधमे २०४७ सालमे फेन कांग्रेसमे लग्लाँ। २०४८ सालमे हुइलक आम चुनावमे नेपाली कांग्रेससे टिकट नैपैलाँ टे फेन राप्रपामे प्रवेश कलर्ाँ। २०५१ सालमे हुइलक् मध्यावधी चुनावमे प्रतिद्वन्दी खुमबहादुर खड्कासे ओ आपन भतिजा खेम नारायण चौधरीसे प्रतिस्पर्धा कर्ला। ऊ चुनावमे उहाँक पराजय हुइलिन्। २०५५ सालसे उहाँ आपन गाउँमे पारिवारीक् जीवन विटाई लग्लाँ। यिहे क्रममे २०५९ साल फागुन ७ गते पूर्व राजा ज्ञानेन्द्रसे राज परिषद स्थायी समितिक् सभापतिमे नियुक्तहुइलाँ। २०६२।०६३ मे हुइलक् जनआन्दोलनसे राजा शासन अन्त हुइल, ओठ्ठीसे आपन घर भक्तपुरके लोकन्थलीमे दिन गुजारिट। बिमारके कारण लम्मा समयसम पाटन अस्पतालमो भराना रहिट। सामान्य जरजुरी अइटी कि सरकारी खर्चमे जचाँई विदेश डौरठाँ नेता, मने सरकार उहाँक् दरदवाईक कौनो ब्यवस्था नै करल, यी बहुट खेदजनक पक्ष हो।