सीएन थारु- संविधानसभाके दोसर निर्वाचन किछु दिन भित्तर हेतै। संविधानसभाके निर्वाचन निष्पक्ष और स्वतन्त्र हौक जनताके चाहना छै। पहौन्का बेर जे सविधानसभा गठन करल गेलै, से कोन कारण एक थान सविधान जारी नै कैरके विघटन करल गेलै? तकर खोजी वहस के विषय नै बनल्छै। अखुन मतदाता सब के मोटिभेसन फ्याक्टर खिएनाई पिएनाई देखल गेल्छै। अमुल्य मत के वात सव कोइयो करैछै आ मत किनैले सोहो योजना बनैछै। कथनी आ करनी मे फरक देखैके दार्शनिक भुल आपन ठाममे छेबे करै, तकरा लवका विचार से हरेबै कहैबला सोहो अकर्मण्यता से घेरल छै। अखुन्का सवाल प्रष्ट छै कि राजनीतिक दलसब जनताके मत के कदर आब कोन तरह से करतै?
उपरोक्त सवालके जवाफ दैके हिम्मत दलसवके अखुनं नै देखल गेलै। विशेष कैरके पूर्ण वहुमत येलै तावेे ज्याके संविधान बन्तै कहैवला बात संविधान नै बनाबैके ढोङ चियै। यहौबेर कोनो दल पूर्ण वहुमत नै लावे सक्तै आ दलसबके मनस्थिति अध्ययन करल ज्यात संविधान यकरे कारण नै बनैके संकेत कैररहल्छै। जनमत के कदर करैकै प्रतिबद्धता मे यतै घुन लाग्लै। दोसर बात संविधानसभामें यै बेर करीब चाईर दर्जन दल समावेश बनैके सम्भावना संगे सहमतिके सवाल कठिन ओर बन्तै। येहेन संविधानसभा वर्तमान राज्यके आमुल परिर्वतन करैले फेनो असफल बनैके स्थिति मे देखल गेल्छै।
याह कारण से मतके कदर करैके बदला जनघाती कदम निरन्त्तरता लेतै, तकर खबरदारी अखुनसे हैके चाही कैहके संघीय लिम्बुवान राज्य परिषद तीन सुत्रीय स्वायत राज्य प्राप्तीके कार्य योजना स्वीकार कैरके निर्वाचन प्रक्रिया मे नयाँ वहस उठान करने छै। विशेष कैरके कार्ययोजना मे वेसी संख्यामे संविधानसभा मे उपस्थिति बनावैके प्रस्ताव छै, जकरा विशिष्ट आर्थिक योजना सहित व्यावसायिक बन्याल ज्या सकैये। तै मार्फत सहमति सब कार्यान्वयन करैके प्राथमिक सवाल छै। यदि सहमति कार्यान्वयन करैले आनाकानी करैछै बुझे परलै कि संविधान बनाबैले षड्यन्त्र हेवे लागलै, तकर वाद योजनामे संविधानसभाके विकल्प लिग अफ द फर्स्ट नेसन्स आ समानान्तर सरकारके प्रस्ताव करल गेल्छै। यकर काउण्टर मोडेल विकल्प सहित के विद्रोह अगा बह्रतै जते जल, जंगल, जमीन उपर आदिवासी के अग्राधिकार सुनिश्चित करैले कामयावी हेवै।
संविधानसभा निर्वाचनके बाद जनताके असन्तुष्टी बहौत कारण से वह्रैत जेतै। यते संविधान संशोधन फेनो हेतै आ संविधानसभा असफल बनावैकै खेल शुरु करल जेतै। सरकार बनावकै खेल प्रशस्त हेतै। यी वस्तुगत अवस्थाके मध्यनजर राखैत चार तयारी अन्तर्गत संगठनात्मक तयारी प्रधान विषय छै। बैचारिक तयारी के एक चरण पुरा भेल ठहर करैत आव राजनैतिक तयारी निर्वाचन प्रक्रिया सँगे चलैत जेतै। येहे अवस्था मे पार्टी के तरफ से निर्वाचित भेल सभासद के प्रतिवद्धता सतीसाल सावित हेतै कि नै से जाँच करैके छै।
स्वभाविक छै जनताके असन्तुष्टी विपक्षी सबके भूमिका कायम करैवला स्थान बनेतै या तकरा सुरक्षित राखैत कार्य योजना के अनुसार काम बर्गिकरण कैरके व्यक्तिगत जिम्मेवारी सुम्पैके नीति अवलम्बन करल जेतै। येहै ठाम मत के कदर करैवला व्यावहार प्रदर्शित हेतै। अन्त मे अभियान, संघर्ष, विद्रोह के कार्य दिशा मुक्ति के सवाल सँगे एकाकर बन्तै। नयाँ नेपाल के आधार नयाँ विचार ठहर भेल्छै त गेल्हा संविधानसभामे वहसके काम महत्व प्रदान करने से खेल के नियम बदलै के योजना भंग करल गेलै। आबो कम्युनिष्ट गारवेज के निकास सहज नै छै। तखुन राजनीति के धार नयाँ सिरा से विकास करल ज्या सकैय निकास खोजैले।
साभारः १ मंसिर, गोरखापत्र