भुरभुरा रहरसे करोटसम्

भूमिका थारु
सर्वनाम नाटक घरमे अब्बे थारु भासाके नाटक ‘करोट’ चल्टि बा । ‘करोट’के कहानि सम्झटि रहलबेला महि ‘भुरभुरा रहर’ के सुनहरा डिनके याड आइल । महि जिन्गिमे पहिला चो रंगमन्च छेट्रमे पौलि टेके सिखैलक नाटक हो ‘भुरभुरा रहर’ । महि अभिन फेन याड बा उ डिन, बुवक् संगे उहाँक् मैगर गोचा सुशील अंकलहे काठमान्डु अइलक खबर पैटि साइट कलंकीमे भेटे गैलक । ओ याड बा महि सुशील अंकल चाहक चुस्कि लेटि ‘भुरभुरा रहर’ नाटकके लग महि खेलकटन अफर कैलक ।

महि टबे चाह नाहि सुशील अंकलके बाट डन्डुर लागल हे । नाटक कलक का हो कहिके नैजन्ना मै सहभागिटा जनाइक टन टब्बेहेसे उट्साहिट हुगल रहुँ । मै बिना कौनो संकोच अंकलहे नाटक खेलक टन टयार बटुँ कलुँ । उ डिन मै फे नाटकमे काम कर्ना मौका पाइटुँ कना बाटेले खुसि रहुँ, ओहेसे यि मौकाहे भरपुर सडुपयोग करम कहिके अठोट फेन लेलुँ ।

कलेजसे डौरटि भुरभुरा रहरके रिहर्सलमे गैलक उ डिन अभिन फेन टाजा बा । ओ मम्मी मोर नाटक टिन चो हेरे अइलक । नाटक घरमे नेपालि भासाके नाटक बारोमास मन्चन हुइठ । मने थारु भासाके नाटक मन्चन हुइलक बहुट कम सुनमिलठ । २०७३ सालमे ‘भुरभुरा रहर’ थारु भाषाके नाटक राजढानि पैहलिबार डेखे पाइल जौन कालिकास्थानमे रलक सर्वनाम नाटक घरमे पुस १५ गतेसे २३ गतेसम मन्चन हुइल रहे । यि नाटकके लेखन सुशील चौधरी कैलेरहिंट ओ निर्डेसन प्रणव आकाशके रहिन् । नाटकमे हम्रे २५ बरस आघक थारु समुडायहे डेखाइक खोज्ले रहि ।

थारु भाषाके नाटकमे खडेरि बा कलेसे कौनो फरक नैपरि । ‘भुरभुरा रहर’ मन्चन हुइल डुइ वरष पर्से राजढानि थारु भासाके डुसरा नाटक ‘करोट’ हेर्ना मौका पाइटा । नाटक यिहे पुस ६ गटेसे २१ गटेसम सर्वनाम नाटक घरमे निरन्टर मन्चन हुइटि बा । यम्ने मै फे कलाकार बटुँ । नाटकके लेखन ओ निर्डेसन प्रणव आकाशके हुइन् । नाटकके खिस्सा सामाजिक रलेसे फेन थारु भासा, संस्कृटि उट्ठानके लग ओ अइना लावा पुस्ता यि नाटकसे कुछ सिखिंट कहिके थारु भासाके माढ्यम रोज्लक कहिके डाडु प्रणव आकाश हम्रिहिन वकसपमे जनैले रहिंट ।
डाडु प्रणवसे काम करे पैना मोर लग बहुट सौभाग्यके बाट हो । रंगमन्चमे पहिला चो पौलि टेके सिखैना ओ रंगमन्चके मोर पहिला गुरु हुइट उहाँ । भुरभुरा रहरसे लेके आझ टक उहाँसे ढेर कुछ सिख्ना मौका पैले बटुँ ।

मोर नानि (डाइक डाइ) यि बिचेम डेउखरसे बिरुवा कराइ काठमान्डु आइल रहि । नाटकके रिहर्सलके लग ढुस्मुस्हे बिहानि नेंग्ना मै एकफाले सन्झाके किल डेरा ओर घुमु । नानिक् सँगे एक ओक डिन कुल मजासे बैठे नैपैलु कहिके बहुट नैमजा लागल रहे महि । नाटक हेरके जैहो कहिके नानिहे एक अठवारसम रुकैले रहुँ । बुह्राइल मनैन् लगल काठमाडौ बैठावन मिच्छावन रलो पर नानि नाटक हेरके गैलि । यिहिले महि आउर खुसिक बाट का हुइ सेकठ ?

करोट नाटक पुस २१ गटेसम सर्वनाम नाटक घरमे निरन्टर मन्चन हुइटि बा । यडि काठमाडौ बटि या काम विसेसले काठमाडौ अइबि कलेसे हेरक जिन बिसरैबि । थारु गाउँक निम्नवर्ग परिवारमे ढन सम्पट ओ लालच जब पौलि टेकठ टे का का चिज करोट फेरठ कहिके जानक टन एकचो जरुर करोट फेरे अइबि । सक्हुन हर्डिक गाँठक् नेउटा बा ।
साभारः गोरखापत्र १५ पुस, ०७५

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