कृष्णराज सर्वहारी, अध्यक्ष, थारू लेखक संघ
२०७४ माघ ४, ५ ओ ६ गते बर्दियाके बढैयातालमे राष्ट्रिय थारू साहित्यिक मेला–३ हुइटि बा । यि मेला थारू लेखक संघके नियमित कार्यक्रम अन्तरगटके कार्यक्रम हो । यि जंग्रार साहित्यिक बखेरी, कर्मशील नेपाल लगायतके संस्थाके व्यवस्ठापनमे हुइजैटि बा । यिहे कार्यक्रमके बारेमे संघके अध्यक्ष एवम् साहित्यकार कृष्णराज सर्वहारीसे लावा डग्गर त्रैमासिकके लग छविलाल कोपिलाके करल छोट बाटचिट ।
माघके पहिल अँठ्वार बर्दियामे थारू साहित्यिक मेला–३ हुइ जैटि बा । मेलाके सामा कसिक हुइटि बा ?
मेलाके सक्कु टयारि पुरा हुइल बा । सब्से साँसट आर्ठिक व्यवस्ठापन हो । मैगर गोचा सुशील चौधरी, सन्तराम धरकटवा, सोम डेमनडौरा लगायट संघरियन पैसा जुटाइमे लागल बटाँ । मै राजढानिओर संयोजन करटि बटुँ । कार्यक्रम सफल करक लग, जौन ठाउँमे कार्यक्रम कर्ना हो, उहाँक् स्ठानियके फेन सहयोग चाहठ । बढैयातालके बरघर लगायट उहाँक् स्ठानिय कार्यक्रम हुइना संगे बहुट उट्साहिट बटाँ । कार्यक्रम टयारिके सिलसिलामे जंग्रार साहित्यिक बखेरी इहे पुस १ गटे बढैयातालमे अपन छैठौ बार्सिकोट्सव मनैले बा । इहिसे उहाँ उट्साह डुगुना हुइल बा । टिन टिखार, बरे बिखार कहेहस यि मेला ३ हे ऐटिहासिक बनैनामे लागल बटि ।
गइल बरस थारू साहित्यिक मेला–२ कैलालीक पटेलामे हुइल रहे । उ मेला नमुना कार्यक्रम रहे कैह्के सुन मिलल् । उ मेलाके खास विसेसटा ओ सन्डेस का रहिस् ?
कैलालीक पटेलामे २०७३ चैत १९ ओ २० गटे थारू साहित्यिक मेला–२ हुइल रहे । पहिला बरसके दाङके कार्यक्रममे हम्रे नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, काठमाडौ ओ जिल्ला विकास समितिसे कुछ रकम सहयोग पैले रहि । मने कैलालीके कार्यक्रममे एक स्प्या फेन सरकारि सहयोग नैलेगैल । सब्से भारि विसेसटा टे इहे रहे कि अपन भासा, संस्कृटि संरक्छनके लग सरकारके मुँह नैटाक्के समुडाय अप्नेहे फेन लागे सेकठ कना सन्डेस डेहल यि । डोसर दाङके कार्यक्रममे अपवाडबाहेक थारू साहित्यकार हसके किल भेला रहे । मने कैलालीमे थारू समुडाय केन्ड्रिट खिस्सा लिख्ना मदन पुरस्कार विजेटा रामलाल जोशी, नविन विभाससे लेके भासा अभियन्टा पदम राइ, दीपक तुलाधर लगायटके उपस्ठिटि रहे । उहाँ लोगन्से अन्टक्रिया बहुट उट्साहिट बनाइल । लेखनमे थारू महिला साहित्यकारके सहभागिटा काजे कम कना सवाल विसयमे फेन गहन बहस पटेलाहे वजनडार बनाइल । पटेलाके महिला, पुरुस जौन सक्रिय सहभागिटाके साठ कार्यक्रम सफल पर्ना गेंह लगैलाँ, उ लोभ लग्टिक रहे ।
मेलामे कुछ कमिकमजोरि फेन डेखा परल कना गुनासो फेन रहल् । अप्खिरके यि मेलामे कमिकमजोरि ओ गुनासोहे कसिक सम्बोढन कैटि बटि ?
हेरि, काम कर्लेसे छोटामोटा कमजोरि जहाँ फेन, जौन फेन कार्यक्रममे हुइठ । कमिकमजोरि आइल कना गुनासोसे डरैना हो कलेसे कि टो कार्यक्रम जो करक छोरे परल । पटेलामे सुट्ना वेवस्ठाके लग कुछ संघरियन्के गुनासो रहिन् रे । चैट मैन्हम् टे एकठो पाटिर छिटर चड्रि अपन झोलामे ढैलेसे का हुइट ? अप्कि बढैयातालमे माघेम् हुइना कार्यक्रमके लग गुडरि गड्डा अग्रिम छेंकाइल बा । व्यवस्ठापन अन्टर्गट कामके जिम्मेवारि बाँरफाँर कैगैल बा । जिल्ला भिट्टर या बाहेरसे अइलक, अपन घरे जैना सम्भव नैरलक सक्कु सहभागि लोगनके खैना, बैठ्ना व्यवस्ठा मिलैले बटि । स्ठानिय साहित्यिक अभियन्टालोग डाल, चाउर फेन उठैटि बटाँ । कुछ पाइक लग, कुछ गँवाइ परठ, यि बाट साहित्यकारलोग मनन कर्ना चाहि ।
बर्दियाके बढैयातालमे हुइटि रहल यि मेला ३ के खास आकर्सन ओ सन्डेस का हो ?
हेरि, राजनीतिक दललोगन्हस करे नैसेक्ना वाचा मै करक नैचाहठुँ । यि एकठो लम्मा अभियान हो, थारू भासा मानकटा ओ थारू साहित्यके उन्नयनके लग । इहिसे पहिले साहित्यिक मेला करेबेर स्ठानिय निकाय गठन नै हुइल रहे । आव् स्ठानिय निकायके चुनाव होके प्रडेसमे मुख्यमन्त्रि रना, अपन सरकार गठन कर्ना स्ठिटि आ सेकल । ओहेओर्से हम्रे स्ठानिय निकायके जनप्रटिनिढिन्से थारू साहित्यके विकासके लग ढेर अस्रा कर्ले बटि । बर्दियामे ५२ प्रटिसट थारू जनसंख्या रहलमे स्ठानिय निकायमे कामकाजि भासासे लेके स्कुल स्कुलमे थारू पोस्टा लागु होए कना हमार अर्जि स्ठानिय निकायके जनप्रटिनिढिन् जरुर सुन्डिहि कना हेटुले नेटन् फेन बलागैल बा । ओकर लग बर्दिया विकास बहस कना विसयमे बहस फेन ढरल बा । भौटिक विकास किल नाहि अमुर्ट कलाके संरक्छन, भासा संस्कृटिके विकास फेन विकास हो कना चेट खुलाइक चाहटि । मेलाके खास सन्डेस इहे हो ।
प्रत्येक मेलामे घोषणा–पत्र जारि हुइठ् । मुले कार्यान्वयन ओत्रा हुइल नै बिल्गाइठ्, कब्बो डोब्¥याके छलफल फेन नै हुइठ् । यकर खास कारन का हो ? कि घोषणा–पत्र कलक औपचारिकता किल हो ?
अपनेक प्रस्नमे डम बा । पहिला थारू साहित्यिक मेलामे हम्रे १४ बुँदे घोषणा–पत्र जारि कर्ले रहि । पहिला ओ डोसर मेलामे जारि कैगैल घोषणा–पत्रमे खास अन्टर नैहो । मने हम्रे पुरा करे नैसेके लाइक बाट घोषणा–पत्रमे नैउठैले हुइ । भाषा साहित्य संरक्षण ओ बिकासके लाग थारू लेखक संघ गठन कर्ना कहिगैल रहे । मोरे संयोजकत्वमे दाङमे गठन फे हुइल । थारू मानक भासाके लग भासाप्रेमि, लेखक, प्रकासक, सम्पाडक एकटाबद्ध होके काम कर्ना कहिगैल रहे । आदिवासी जनजाति उत्थान राष्ट्रिय प्रतिष्ठानके सहयोगमे थारू वर्णमालाके पहिचान कार्यक्रम घोराहीमे होके प्रयास आगे बह्रल बा । आज अपनेक लावा डग्गर, गोरखापत्र थारू पेज, लौव अग्रासन, पहुरा लगायट थारू पत्रिका ओ प्रकासिट हुइटि रहल थारू पोस्टामे थारू व्याकरन अन्सार सव्ड बेल्सना लहर चलल् बा । यि फेन मेलाके डेन हो कना लागठ । थारू मातृभाषामे शिक्षाके डवाव डेना काम निरन्टर बा । नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानके माटृभासा विभाग प्रमुख श्रवण मुकारुङ पहिला मेलामे बर्का पहुना हुइल बेला करल बाचा गइल बरस थारू साहित्यको इतिहास प्रतिष्ठान छापल । एक डर्जन स्रष्टा पहिला मेलामे औरे बरस पोस्टा निकरना बाचा कर्ले रहिट । आढा डर्जन स्रष्टा निकरना सफल हुइला । अप्कि टिसर मेलामे सर्वहारीक् लाल केरनि उपन्यास, सुशीलके निवन्ध संग्रह, सन्तराम धारकटवा थारु ओ सोम डेनडौराके खिस्सा संगह, पुनाराम कर्याबरिक्का ओ अर्जुन चौधरीके उपन्यास, थारु साहित्यम लौव युवा फाउण्डेशनके गजल संग्रह, बमबहादुर थारुके कविता लगायट एक डर्जन थारू पोस्टा विमोचन हुइना खबर मिलल बा । यि फेन बरा उपलब्ढि हो ।
थारू समुदायमे रहल खिस्सा बाचन सैलि लोक साहित्य सुनैना अभ्यास कर्ना घोषणा–पत्रमे कले रहि, उ बह्रैयातालमे हुइ जैटि बा । थारू भाषामे रहल महटाँवा÷भलमन्सा÷बरघर संगठनके माध्यमसे थारू साहित्य संस्कृतिके बिकासके लग अभियान चलैना कले रहि । यि मेला या अइना डिनमे कैजैना मेलामे बरघरहे हम्रे जोरलि, जोरटि रबि । थारू साहित्यमे समालोचना, आख्यान बिधा कमजोर बा, यकर निरन्टर बहस मेलामे उठैटि बटि । जिहिसे गैल बरस खिस्सा संग्रह, यि बरस उपन्यास विमोचन हुइटा । इहिसे हम्रे घोषणा–पत्रमे किल सिमिट नैहुइ कना लागठ ।
अइना बरस कौन जिल्लामे मेला लगैना सल्लाह बा ?
यकर लाग खास सल्लाह नै हुइल हो । सौक्यार रबि, अपनेक अग्वाइ करल थारू भाषा तथा साहित्य संरक्षण मञ्च, लावा डग्गर परिवार, देउखरहे फेन यि जिम्मेवारि आ सेकठ । मने हमार प्रयास ढिरे ढिरे पुरुब कपिलबस्तु, रुपन्देहीओर फेन जैना बा । कार्यक्रममे सहभागि हुइ आइल जिल्लावासि कोइ टे सकारि जरुर ।
अन्टमे, साहित्यकार सर्वहारी ओ औरे थारू साहित्यकारमे का फरक ?
यि उत्तर डेना कर्रा बा । कलेसे मनैया अपन बयान करटा कनाहस । सर्वहारी उपन्यास, मुक्तक, हाइकु, बालकथा, बालकविता, हाँस्यव्यंग्य, लघुकथा, लोककथा लगायत पोस्टा थारू भासामे पहिला फेरा प्रकासिट कैके जौन इटिहास बनाइल, यि अपनेमे एतिहासिक काम हो । सर्वहारीक् विसेसटा कलक यि अपने किल नाइ औरे जन्हन फेन लिख्ना हौस्याइठ । ओकर बल्गर प्रमान इहे परटेक बरस हुइटि रहल मेलाके संयोजन फेन हो । जबकि बहुट जाने अपने किल लिख्ठाँ, आउर सिकारु लेखकसे मटलव नैरठिन् । अपन परिवारहे फेन कम प्राठमिकटा डेके मोर लाइनमे अइटि रहल सुशील, कोपिला, सोम, सागर जसिन संघरियन डेख्के महि चोटगर लागठ । अभाव रहल थारू साहित्यके मोतीमण्डली आब बनि ओ थारू साहित्यके बौंरा नम्टि जाइ कना लागठ ।