वैशाख ३ ओ ४ गते दाङके घोराहीम भव्यरुपम पहिला फ्यारा राष्ट्रिय स्तरक ‘थारु साहित्यक म्याला –२०७३’ ह्वाए जैटी बा। उह म्यालाके विषयम थारु साहित्यक म्याला मुल आयोजक समितिके संयोजक कृष्णराज सर्वहारीसे लौव अग्रासन साप्ताहिकके सम्पादक सन्तोष दहितसे करल बातचित प्रस्तुत बा।
थारू साहित्यिक म्याला कर पर्ना खास उद्देश्य का हो?
थारू साहित्यिक म्यालाके तयारी एक बरस पहिलेसे हुइटहे। २०७२ साल भित्तर कर्ना योजना विविधकारणबश २०७३ बैशाख ३ ओ ४ गते हुइटी बा। यी म्याला कर पर्ना खास उद्देश्य थारू लेखकलोगन्के ढेरसे ढेर जुटौला हो। थारू साहित्यके विविध विधाके अवस्थाबारे कार्यपत्र सुन्ना, सुनैना योजना बार जिल्ला जिल्लामे थारू लेखकलोगनके आ आपन संगठन रलेसे फेन राष्ट्रियस्तरके संगठन नैरहल ओर्से थारू लेखक संघ फेन गठन कर्ना योजना बार साथसाथे आम्हीनसम निक्रल थारू पोष्टा, पत्रपत्रिकाके बृहत बिक्री बितरण ओ प्रदशर्नी कर्ना म्यालाके उद्देश्य हो।
कहासम पुगल ट म्यालाके तयारी?
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानके सहकार्य ओ थारू भाषा तथा साहित्य संरक्षण मञ्च, लमही, दाङदेउखुरी तथा हर्चाली समूह, घोराही, दाङसे हुइटी रलक म्यालाके तयारी अन्तिम चरणमे पुगल बा। मोर मूल संयोजकत्वमे तयारी समिति गठन हुइल बा। स्थानिय स्तरम संयोजक माधब चौधरी बटाँ। ओस्टक सदस्यम केवि चौधरी, लक्ष्मीमान चौधरी, अशोक चौधरी, सन्तोष दहित, छविलाल कोपिला, लब्लीन क्यानभास लगायत साहित्यकारलोग बटाँर प्रचार प्रसार संयोजकम सन्तोष दहित बाटर जिल्ला विकास समिति दाङसे फेन म्यालाके सफलताके लाग सहकार्यके बाट आगे बह्रल बार कार्यक्रम उद्घाटन स्थल घोराहीस्थित नेपाल पत्रकार महासंघके सभाकक्षमे बार ओस्टक गोष्ठी छलफल सत्र स्थल सौडियार–५, राजपुर, दाङमे हुउइया बा।
म्याला क्षेत्रिय स्तरके हो की राष्ट्रिय स्तरकेर म्यालम कैठो जिल्लाके साहित्यकारहुक्र उपस्थिति हुइना अपेक्षा कर्लबाटी?
यी थारू साहित्यिक म्यालाहे हम्रे राष्टिूय स्तरके मन्ले बटीर भाषा मिल्ना नवलपरासीके नवलपुर क्षेत्रसे लेके कञ्चनपुर टकके ९ जिल्लाके थारू लेखकलोगनके जुटौला करैटी बटी। आर्थिक अभावके कमी ओ चितवनसे पुरुब थारू भाषा बहुट फरक हुइल ओर्से पहिला कार्यक्रममे हमार प्राथमिकता झापासम नैपरल।
लेकिन अइना दिनके थारू साहित्यिक म्यालामे पुरुब झापासे लेके पश्चिउँ कञ्चनपुर समके सब थारू लेखकलोगन अक्के छत्रीटि। जुटौला कर्ना हमार योजना बार कम्तीमे एकठो कृति निकारसेकल कौनो थारू लेखक ना छुटिट् कना हमार सोच हो।
राष्ट्रिय स्तरक म्याला हो कलसे दाङम काजे आयोजना कर्ली ट? काठमाण्डौमा कर्लसे नि हुइट?
काठमाण्डौम कर्लसे फे हुइटर आब प्रत्येक बरस नैबिराके थारू साहित्यिक म्यालाके आयोजना कर्ना लक्ष्य बार कौनो बरस काठमाण्डौम फे करबर मही लागठ, थारू समुदायके, थारू साहित्यके राजधानीके वास्तविक हकदार दाङदेउखर जिल्ला हो। ओहेसे पहिला कार्यक्रम दाङदेउखरमे आयोजना कैगैलर मोर आपन गृहजिल्ला हुइल ओर्से फेन मूल संयोजकके नातासे अपने जिल्लामे कार्यक्रम कर्लेसे ढेर सहयोग मिली कना अश्राले फेन हो। मही खुशी लागल बा, जिल्लक् साहित्यअनुरागी संघरियनसे म्यालाके लग ढेर सहयोग फे मिल्टी बा।
साहित्यिक विधा ट बहुट बार यी साहित्यिक म्यालम कौन विधाह प्रमुख बनैल बाटी?
यी कार्यक्रम नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानके मातृभाषा विभागके सहकार्यमे हुइटी बार मातृभाषा विभागके प्रमुख प्राज्ञ कवि श्रवण मुकारुङ बर्का पहुनाके रुपमे अइटी बटाँर विसे नगर्चीको बयान, सुन रे सियाराम उहाँक् कविता आजकल बहुट चर्चामे बटिन। उहाँ आपनसंगे कुछ पहुना कविलोगन फेन राजधानीसे लन्टी बटाँ। उहेसे म्यालामे कविता विधा स्वतः चर्चामे रही।
थारू साहित्यकारलोग गजलमे बहुट तीव्र गतिमे लागल ओर्से फेन गजल, कविता बाचन प्राथमिकता पाइर मने आख्यान (कथा, उपन्यास) बिधामे थारू साहित्य काजे कमजोर बा? यकर बारेम फेन हम्रे बिशेष छलफल करुइया बटीर थारू भाषाके मानकताके बारेम फेन गरमागरम बहस रही।
साहित्यक म्यालाके मुख्य आकर्षण का का बा?
म्यालाके मुख्य आकर्षण कलक आम्हिनसम निक्रल थारू पोष्टा, पत्रपत्रिकाके बिक्री, प्रदर्शनी हो। सौडियार–५, राजपुर, दाङमे सांस्कृतिक नाचगान कार्यक्रमके साथ रचना बाचन म्यालाके डोसर मुख्य आकर्षण हो। आपन प्रतिभा प्रस्फुटनके लग फेन मै युवा साहित्यकारलोगन आमन्त्रण करटुँ।
यी बाहेक आम दर्शक हुकन लौवपन डिह सेक्ना या म्यालाम जाउँ जाउँ लगैना का बा?
थारू साहित्यमे दाङदेउखुरीके योगदान का कसिन बा? यकर बारेम कार्यपत्र बा। लिख्टी रलक, लिख्ना बाताबरण चहलक दाङदेउखुरीके युवा स्रष्टालोग यी म्यालासे बहुट फाइदा उठाइ सेक्ठाँर यी बाहेक थारू साहित्यमे कैलालीके योगदान का कसिन बा? थारू साहित्यके योगदानमे दाङदेउखुरीसे प्रकाशन हुइटी रलक लावा डग्गर त्रैमासिकके भूमिका का कसिन बा? सामाजिक सञ्जालमे थारू साहित्यके अवस्था का कसिन बा? ओ ओम्ने जंग्रार साहित्यिक बखेरी का कसिन भूमिका खेल्टी बा? यी तमाम बिषयमे गहन कार्यपत्र उपर छलफल हुइना रलक ओर्से म्यालामे स्वतः जाउँ जाउँ लग्टीक बा कना मोर ठहर बार कार्यक्रममे सहभागी नैहुइलेसे पस्टैना अवस्था बा।
अन्तम कुछ कहपर्ना बा की?
थारू साहित्यिक म्याला हमार पैल्हा प्रयास होर इही प्रत्येक साल निरन्तरता कसिक डेना हमार ठेन चुनौती बा। वास्तवमे थारू साहित्यके पैल्हा पत्रिका गोचाली प्रकाशित हुइल ४४ बरसमे बल्ले थारू साहित्यिक म्यालाके आयोजना हुइना बरा लाज लग्टिक, सोग लग्टिक बाट हो। थारू साहित्यमे का लिख्जैटी बा? का लिख्ना जरुरी बा? यकर चिन्तन मनन, बहस छलफलके अभावले थारू साहित्यके विकास सोंचल हस आगे बह्रे नैसेकठोर ओकर लग यी म्याला शुरुवात बिन्दुके काम करी कना मही लागल बार साहित्यकारलोग साहित्य अपने किल सिर्जैना बरा बाट नैहो।
लावा लावा स्रष्टन्हे लिख्ना बाताबरण कसिक पैदा कर्ना? लिख्टी रहुइयनहे कसिक यी क्षेत्रमे टिकैना यी बिषयहे अभियानके रुपमे लैजाइ सेक्लेसे किल थारू साहित्य आगे बढे सेकीर ओहेसे आइ परगामे परगा मिलाई। आब थरुहट राज्य माँगके किल नैहुइ, थरुहटके थारू भाषाहे मल्गर, बल्गर कसिक बनैना यी सोच सब थारून्मे नै आइटसम, थारू भाषाके किताब आपन लर्कन् पह्रैना बाताबरण नैबनाइटसम हमार उन्नति असम्भव बा। थारू साहित्यिक म्याला उ बाताबरण पैदा कर्ना ढुपौराके काम कर्ना तयार बा।