नेपाली काँग्रेस, एमाले, एमाओवादी, फोरम लोकतान्त्रिक विचम जेष्ठ २५ गते १६ बुँदे सहमति हुइल। यी सहमति हे ऐतिहासिक सहमति प्रचार कैगिल कारण संविधान बनैना सवालम विगत लम्मा समय से देखमिलल गतिरोध अन्त्य करकटन यी लिखित सहमति हुइलेक बात जो बुझक मिलल। संविधान सभाके बैठक यी सहमति हे अनुमोदन कैख सम्वाद समितिम पठाइ कना निर्देश देहल अवस्थाम आब संविधान बन्ना विषय ओर राजनीति केन्द्रित हुई राखल विल्गाइठ। कौनो संकट उत्पन्न नैहुई कलेसे संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रात्मक संविधान बनी कना हो। यी संविधान बुर्जवा लोकतन्त्र हे प्रबर्द्धन कर्ना संसदीय व्यवस्था कायम कैख उदारवादी पूँजीवाद हे बढावा दिही। कम्युनिष्ट बामपन्थी आब बुर्जुवा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र भित्तर आपन राजनीतिक गतिविधि समायोजन करती जैना अवसर पाई।
१६ बुँदे सहमतिके सार पक्ष
संविधान सम्बन्धि विवादित विषय राज्यपुनःसंरचना लगायत शासकीय स्वरुप, न्याय प्रणाली ओ निर्वाचन प्रणाली १६ बुँदे सहमतिके मुख्य पक्ष मानगिल। राज्य पुनःसंरचनाके विषयम संघियताके सवाल अभिन फें नामाङकन ओ सिमाङ्कन कसिक कर्ना एक अमुर्त ओ उधारो सहमतिके रुपम विल्गाइठ। पहिचान के पाँच आधार ओ सामर्थ्य के चार आधार एक सैद्धान्तिक विषय किल रहल मुले यीहे कसिक व्यवहारिक बनैना सवालम जौन संघीय प्रदेशके नामाङ्कन प्रदेश सभाके दुई तिहाइ बहुमत से निर्णय लेहे सेक्ना ओ सिमाङ्कन सम्बन्धि वर्तमान के जिल्ला सिमाना कायम राखती संघीय आयोग के सुझाव प्रतिवेदन बमोजिम अन्तिम निर्णय संविधान सभाके दुईतिहाई बहुमत से लेना विषय वैज्ञानिक हो कि नै फरक मत दर्ज हुइती बा। शासकीय स्वरुपम देशके शासन सञ्चालन करकटन बहुदलीय प्रतिस्पर्धात्मक सघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रात्मक संसदीय शासन प्रणाली अवलम्बन कैना हो कले से राज्य सिद्धान्त बहुलवाद स्वीकार्लक हो।
दोस्रो न्याय प्रणालीम अभिन फें अनुदार देख मिलल जौन क्षेत्र धेर कुशासन के कारक विगत के समयम देखमिलल। स्वतन्त्र न्यायपालिकाके अवधारणा नेपालके सन्दर्भम वर्तमानके अदालती व्यवस्थाम फेर बदल करे नै पैना हो। जहाँ सम्म निर्वाचन प्रणाली के विषय हो प्रतिनिधि सभा ओ राष्ट्रिय सभा जातीय जनसंख्याके समानुपातिक प्रतिनिधित्व हे इन्कार करठ। ओहे मारे १६बुँदे सहमति अन्ततः २०४७ सालके संविधान के सार बोक्ठा। केन्द्र बलगर बनैना ओ स्थानीय तहम विकेन्द्रीकरण के सिद्धान्त बमोजिम शासन चलैना पुराने मानसिकता हावी रहल विल्गाइठ। समाज बदल्ना विषय उपरोक्त ज्ञान मिमांशीय आधारम सम्मिलिकरण के सिद्धान्त हो। याकर आधार पश्चिमीकरण(धभकतभचलष्शबतष्यल) नै हो। मुले आधुनिकीकरण ओ पश्चिमीकरण फरक विषय हुइलेक कारण नेपालके सन्दर्भम मिसमास कैख आज प्रयोग जो करटा यी दुःखदपूर्ण विल्गाइठ।
विपक्षी मत
१६ बुँदे सहमति के विपक्षी मत फें आइल सार्वजनिक होस्याकल। संघीयता पहिचान छोर्क बने सेक्ना शंका करती शासक एक वर्णिय पले रहना संरचनाम देश गइल कना मत बलगर देखमिलल। सीमान्त जनताके विशेष कैख आदिवासी जनजाति, मधेसी, मुसलमान, दलित लगायत पिछडावर्गके भावना समेटे नै पैलक सहमति हो। जातिके आत्मनिर्णय ओ स्वायत्तताके सवाल गौण बनल महसुस करती आब कोइराला, सिटौला, दहाल, खनाल, नेपाल, ओली, भट्टराई वर्णिय स्वार्थम एक हुइलेक निष्कर्ष विपक्षी मत बनाल।
यी आधारम उच्च जातीय पहाडे ब्राह्मणवादी अहंकार पुनः मुन्टा उठैलक अथवा हावी बनल बात स्वीकार करे लागल। विगतके जनआन्दोलन, मधेसी, आदिवासी जनजाति, मुसालमान,दलित लगायत पिछडावर्गके संघर्ष से स्थापित मान्यता विपरित राजनीतिक सहमति बनल कैख प्रतिक्रिया जनैना काम हुइटा। संयुक्त लोकतान्त्रि मधेसी मोर्चा, थरुहट तराई पार्टी, संघीय लिम्बुवान पार्टी, राष्ट्रिय जनमुक्ति पार्टी, संघीय समाजवादी पार्टी यी मतके वाहक बनल विल्गाइठ। उपरोक्त सहमति धोखा हो ओ यीहे स्वीकार नै करम कहती विपक्षी के पोजिसन सुरक्षीत बनाइटन जुटल विल्गाइठ।
इन्डिजिनिष्ट न्यासनलिष्ट आपन फरक मत विकल्प के रुपम प्रस्तुत करती अइलक शुरुवात से हो। सैद्धान्तिक रुपम सम्मिलिकरणके आधारम हमार पहिचान ओरैना काम हुइलक मारे आब वहुलराष्ट्रवाद राज्य निर्माणके सिद्धान्त होए। यी जगम टेकल वहुलराष्ट्रिय राज्य नेपालम सामाजिक न्याय वहुलराष्ट्रिय लोकतन्त्र के अभ्यास मार्फत अनुभूति होए। नेपाल अधिराज्य निर्माणके समयम राज्यविहिन राष्ट्रके अधिकार कुण्ठित कैना जौन खेल हुइल रहे आब सक्कुन के सार्वभौमिकता सुरक्षित रहे कना मान्यताले वास्तविक विपक्षी ठहर हुई।
ओहेक मारे रयाडिकल इन्डिजिनिष्ट मत विल्कुल फरक बा। वहुलराष्ट्रिय राज्यम किल सामाजिक न्याय, स्वतन्त्रता ओ लोकतन्त्रके सही प्रयोग हुई सेक्ना मत इन्डिजिनिष्ट न्यासनलिष्ट के हो। याकर लाग चार विकल्प आध बह्राइल – (१) धेर मनैनके यहाँके राज्य प्रणाली हे क्रियाशिल बनैना पक्षसे सहमति फिर्ता कराइटन प्रभाव पारे सेक्ना क्षमता के आवश्यकता हम्रहीन परि, (२) ओकर लाग काउण्टर मोडेल बनाइ परि जिहे जनता देख सके, आकर्षित होए संगे जो सहमति फिर्ती ओर बह्रैह ीओ राज्य संरचनाके अपरिहार्यता ओर अविश्वास उत्पन्न करैही, (३) राज्यके जिम्मेवारीम रहल सेवा क्षेत्र हे हटाक समुदायके हाथम पुगैना हो, (४) याकर लाग एक चेतना निर्माण कैना आवश्यक बा, हम्रहीन एक मनोविज्ञान निर्माण कैना बा, हम्रहीन एक अनुभूतपूर्ण आधार निर्माण कर पर्ना बा ओ एक सैद्धान्तिक आधार तयार पारक परी। उपरोक्त विकल्प हे स्पष्ट करकटन हमार सन्दर्भम (१) स्वशासन विना कर नै तिर्ना, (२) प्रथम राष्ट्रके सत्ता ओ शासन व्यवस्थाके (रिभाइटलाइज, रिफोर्म ओ रिइन्टिीग्रेसन) थ्रीआर कैना, (३) प्रथम राष्ट्रके सत्ताके अधिन जनसेवा ओ कर लान्ना, (४) वहुलराष्ट्रिय लोकतन्त्र, संघात्मक व्यवस्था ओ समाजवाद उन्मुख अर्थव्यवस्था अनुसार वैधानिक प्रावधान लागु कैना।
लौव नेपाल निर्माण वहस चलल एक दशक से धेर होगिल मुले हमार पुराने मान्यता, मुल्य ओ आवश्यता अवरोध बन्के सामुन्ने आइल बा। राजनीतिक भूईचाल गइल बैशाख १२ गतेके ७ दशमलव ६ रेकटर स्केलके भूईचाल के भारी बा मुले जवरजस्त वहसके उठान जरुर होस्याकल। आब सक्कु पण्डित लोक गरमा गरम वहसम आपन आपन परीक्षण स्वयम् कैना मौका आइल। थारुन के भूमिका पण्डित्याइम विल्कुल कमजोर देखमिलठ।
वहसम कमजोर रहलक कारण आपन कमजोरी बाहर आइ कना हो। अथवा भावनात्मक तर्क करती झगरा खेल्ना हुइट। यी सन्दर्भम वाहुन जात आघ रहल प्रमाणित होस्याकल। जब परहल लिखल वाहुन कौनो कारणले आभावम पर्क सडकम आइठ ऊ पुरान राज्य सत्ता ढाले खोज्ठा ओ जवरजस्त योजना फे बनाइठ। जब कौनो गैर वाहुन परहल लिखल मनै कौनो कारणले आभावम सडकम आइठ ऊ मगन्ते बनजाइठ। यी यथार्थताके धरातलम हमार मुल्याङ्कन होरहल ओर्से लौव नेपाल निर्माणके प्रक्रियाम ठाउँ पैना कठीन बा।
सिद्धार्थ गौतम बुद्धत्व प्राप्ति पाछ पत्ता पाईल कि अज्ञानता ओ अकर्मण्यता दुनु दुःखके कारण हो। हरेक घटना पाछ निश्चित कारण रहठ ओ कारण पत्ता लगैना विधि विज्ञान हो। १६बुँदे सहमति के कारण स्पष्ट बा। नेपालम संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नामक बुर्जुवा लोकतन्त्रम न्युनतम सहमतिके जग १२बुँदे दिल्ली सम्झौता हो। तत्कालिन विद्रोही शक्ति माओवादी ओ सात दल विच हुइल १२बुँदे सहमति अनुसार आज तलुक जनआन्दोलन हुइल।
यी व्याला हम्र भाग खोज्लक सन्दर्भ महत्व नै पैही काकर कि हमार नेतृत्वम योजना विकास नै हुइल ओ आन्दोलन फे निर्णायक बनल स्थिति नै हो। अत्रा हुइले से फे मौका आइल बा। वास्तविक विपक्षी बनकटन अज्ञानता ओ अकर्मण्यता हटाइ परी। नवउदारवादी पूँजीवादके जीवनम संकट आसेकल। विश्वव्यापीकरण पहिचानके राजनीति हे खुकुलो बनैलक ओर्से आब रणनीतिक योजना बमोजिम कार्यदिशा तय होक आघ जाइसेक्ना स्थिती बलगर हुइती बा। राजनीतिम आइल पाराडाइम शिफ्ट हे हमार चेतना मार्फत सक्कुजे महसुस कैस्याकल।
नवउदारवादी हम्रहीन से आघ पत्ता पास्याकल ओ हमार अकर्मण्यता रहल स्थितिसम्म ओकर संसार मज्जा रही। हमार संसार मज्जा बनाइकटन १६ बुँदे सहमतिम फरक मत किल नाही जवरजस्त वहस के गहिराईम प्रवेश करकटन हिम्मत देखाइ परी। आब अइना जुन कुनै जोखिम लेहकटन यी व्याला निर्णय करही परि। याकर लाग राष्ट्रिय ओ अन्तर्राष्ट्रिय परिस्थिति बनल बा। नेतृत्वम आत्मगत तयारी नैपुगल विल्गाइठ।