नेपाल पत्रकार महासंघके केन्द्रीय समितिम पहिला फ्यारा थारु समुदायके प्रतिनीधि हुइल बा। २४ औ महाधिवेशनमसे थारु पत्रकार संघके केन्द्रीय अध्यक्ष लक्की चौधरी निर्वाचित सदस्य हुइट। चौधरी नम्मा समयसम पत्रकारिता लग्टी आइल बाट। उहाँ सरकारी पत्रिका गोरखा पत्र दैनिकम फे आवद्धबाट। नेपाल पत्रकार महासंघके केन्द्रीय सदस्यम निर्वाचीत हुइल पाछ लक्की चौधरीसे यी लौव अग्रसान साप्ताहिकके सम्पादक सन्तोष दहितसे करल बातचीत प्रस्तुत बा ।
नेपाल पत्रकार महासंघके २४ औं महाधिवेशनसे केन्द्रीय सदस्यम विजयी हुइली।
बधाई बा?
धन्यवाद। महिन विजयी बनुइया सक्कु मतदाता, सहयोग करुइया सहयोगी, शुभचिन्तक सक्कु जाने बधाई ओ धन्यवादके पात्र हुइँत्।
महासंघके चुनावसे कसिन महसुस हुइल बा?
जिम्मेवारी थपल महशुस हुइल बा। काल्हसम आपन व्यक्तिगत स्वतन्त्र पेशाकिल रहे। आज आपन पेशा ओ व्यवसाय सँगे अन्य पत्रकार हुक्रनके पेशा, व्यवसाय ओ भौतिक सुरक्षाके सुनिश्चित्ताके व्यवस्था कर्ना जिम्मेवारी फे थपगिल बा।
अप्न यीहाँसम अइम कना सोच्ल रलही की नाही?
हरेक मनैनके आपन लक्ष्य रहथ्। मै जब पत्रकारिता शुरुकर्नु तबही मै आपन लक्ष्य चुम्ना अभियानके साथ प्रयास शुरु कर्नु। नेपाल पत्रकार महासंघके केन्द्रीय सदस्य हुइनाकिल मोर लक्ष्य नै हो। अइना दिनमे पत्रकारनके प्रतिनिधित्व छाता संगठनके नेतृत्व पङ्क्तिमे पुग्ना मोर सपना हो। ओत्रैकिल नै, मै कार्यरत गोरखापत्र दैनिकके प्रधान सम्पादक बन्नाफे मोर लक्ष्य बा। हेरी मोर प्रयास ओ भाग्य कत्रा साथ देहथ्। लक्ष्य भारी लेके प्रयास कर्लसे प्रगति हुइथ् कना मोर विश्वास हो।
नेपाल पत्रकार महासंघके केन्द्रीय समितिम पहिला फ्यारा थारु समुदायके प्रतिनीधित्व हुइल बा यी मानेम अप्न का कठी?
मै यिहीहे खुशी, चुनौति ओ अवसरके रुपमे बुझ्ले बातुँ। खुशी यी मानेमे कि महासंघके केन्द्रमे पुग्ना पहिला थारु पत्रकारके इतिहास बनल। चुनौति यी मानेमे कि महासंघके केन्द्रीय कार्यसमितिमे पुगके आपन कार्यकालमे मै कत्रा पत्रकार हुक्रनके पेशागत व्यवसाय, बृत्तिविकास, व्यवसायिक दक्षता, भौतिक सुरक्षा ओ पत्रकारिता करलबापत पाइपर्ना उचित पारिश्रमिकके लाग लडे सेक्थुँ। महासंघमे मै आज पहिल फेरा पुग्नु, काल्हके दिनमे आपन आधार बनाइकलाग औरे थारुन्हे वहाँसम पुग्ना डगरा बनाइ सेक्थु कि नै। यी मोरलाग चुनौतिके विषय हो।
अवसर यी मानेमे कि २४ औं महाधिवेशनमे थारु सभासदके संख्या जम्मा १२ रहे। १२ मत लानके किल निर्वाचित हुईसेक्ना अवस्था त नै हो। तवमारे यी संख्याहे आपन कार्यकालमे मै शतप्रतिशत बृद्धिकर्ना हरप्रयास करम्। ज्यादासे ज्यादा थारु पत्रकार हुक्रनहे महासंघके सदस्यता देनामे पहल करम। समग्र पत्रकारिताके विकास ओ यी पेशा करके पेट भरके खाइपुग्ना व्यवस्थाकेलाग जहाँ–जहाँ पहल कर्ना हुई ऊ ठाउँमे पुगके पहल कर्लसे समस्या समाधान हुईकि कना विश्वास महिन् बा।
अप्न थारु पत्रकार संघ, नेपालके केन्द्रीय अध्यक्ष फे हुइटी। जनजाती पत्रकारहुकनके हकम कसिन एजेण्डा बनैल बाटी?
नेपाल पत्रकार महासंघ अन्तर्गत केन्द्रमेफे आदिबासी जनजाति विभाग बा। ओकर संयोजक फे महि बातुँ। यी विभाग आदिबासी जनजाति पत्रकार हुक्रनके व्यवसायिक दक्षता, सीप विकासकेलाग विभिन्नखाले तालिम, प्रशिक्षणके व्यवस्था कर्ती आइल बा। अइना दिनमे यी विभागके तरफसे आपन भूमिका खेल्ना त पर्ली बा। ओकर अतिरिक्त महासंघसे उपलब्ध हुईना हर मेरके तालिम, गोष्ठी, प्रशिक्षणमे धिउरसे धिउर मोफसलके पत्रकार, आदिबासी जनजाति, उपेक्षित, अल्पसंख्यक, सीमान्तकृत वर्गसे प्रतिनिधित्व कर्ना पत्रकार हुक्रनहे धिउर अवसर देनामे मोर पहलकदमी रही। नेतृत्व पंक्तिमे यी वर्गनहे लन्ना ओ प्रतिस्पर्धाके लाग तयार कर्ना काम मोर प्राथमिकतामे रही।
दोसर बात– राज्यसे पाजिना लोककल्याणकारी विज्ञापनमे भारी विभेद बा। मोफसलके पत्रपत्रिका वर्गिकरणमे परे नैसेकल हुइँत्। पर्लसेफे ग ओ घ वर्गमे पर्थै। छोट मिडियाहे टिकैनाके लाग राज्यसे देजिना लोक कल्याणकारी विज्ञापनहे समानुपातिक प्रणालीसे वितरण कर्ना जरुरी बा। ओकरलागफे मोर प्रयास रही।
समग्र पत्रकारिताके विकास करक लाग के कसिन भूमिका खेल्लसे अइना दिनम आम्हिन महासंघह बल्गर बनाई सेक्जाई?
नेपाली पत्रकारिता क्षेत्रहे जिम्मेवार, व्यवसायीक ओ सन्तुलित बनैना प्रमुख काम हो। महासंघ ओकरलाग अगुवाई करे सेकी। मने व्यक्तिहे बनैना स्वयम् व्यक्तिके फे प्रयास जरुरी बा। महासंघ सक्कु पत्रकार हुक्रनके छाता संगठन हो। छाता बल्गर रही तवकिल घाम, पानी ओ हुरी बताससे बचाई सेकी। हमार छाता संगठनहे बल्गर बनैनाफे सक्कु पत्रकार हुक्रनके जिम्मेवारी ओ दायित्व हो।
नेपाली पत्रकारितामे अब्बे बहुत विकृति बा। पेशागत जिम्मेवारीके ख्याल नै कैगिल हो। पत्रकारिताहे छाडा व्यवसाय बनागिल बा। यी सबके लाग बेफाइदाके बात हो। पत्रकारफे अन्य नागरिक सरह हुइँत्। ओइनहेफे ऐन, कानून ओ आचारसंहिता लागु हुइथ्। मर्यादाके सीमा नाघे नैहुइथ्। यी बातमे ख्याल कर्ती नेपाली पत्रकारिताहे नागरिकप्रति जिम्मेवार, पारदर्शी, सन्तुलित बनैना आजके आवश्यकता हो। यकरलाग महासंघ आपन ठाउँसे प्रयास करी ओ सक्कु पत्रकार आपनहे यम्ने सचेत हुईपर्ना जरुरी बा। पत्रकार बल्गर हुइलसे किल महासंघ बल्गर हुई।
पत्रकारीता क्षेत्रम काम कर्ती रहल व्याला कबुनी विस्राइ सेक्ना क्षण?
पत्रकारिता पेशा आपनमे चुनौतिके पेशा हो। जे चुनौतिके सामना करे दराई ऊ पत्रकारितामे टिक्बे नै करी। यी पेशामे कदम कदममे रिस्क बा। जसिन परिस्थितिमेफे नागरिक हुक्रनहे सूचना प्रवाह कर्ना, आम नागरिक हुक्रनहे सही डगरा देखैना, सुसुचित कर्ना मिडियाकर्मीके दायित्व हो। पेशामे रहतसम यी काम करही पर्ना रहथ्। कि त पेशा छोडे परल कि जिम्मेवारी निभाई परल। यी पेशामे प्रवेश करल मोर डेढ दशक होगिल। पेशाप्रति वाक्क हुइपर्ना दुःखके क्षण आभिन महुशस हुइल नै हो।
मने पत्रकारिता शुरु करल आठ वरष पाछे २०६५ मे मै एक्थो घटनामे पर्नु। अनियमित्ता करल समाचार प्रकाशन करल बापत जेठ १५ गते गणतन्त्र दिवसके दिन तत्कालिन माओवादी कार्यकर्ताहुक्रे आपन गल्ती ढाकछोप करकलाग मोर उपर भौतिक आक्रमण कर्ले रहैं। सही समाचार, तथ्यसहितके समाचार प्रकाशन कर्लकमे महिन डर नै लागल। घटनाके डटके सामना कर्नु। देशभरके पत्रकार, अधिकारकर्मी मोर पक्षमे आन्दोलन कर्लै। बल्ल–बल्ल ज्यान बचल। घटना महिन थप जिम्मेवार बनाइल। ऊ घटनापाछे मै जिल्लासे विस्थापित हुइनु। ओकरपाछे मै काठमाडौंमे पत्रकारिता शुरु कर्नु। माओवादी कार्यकर्तालोग महिन आक्रमण नै कर्लरतैं त सायद मै आज राष्ट्रिय मिडिया ओ पत्रकार महासंघके केन्द्रीय सदस्यफे नैहुइँतु। तवमारे मै आक्रमण करुइया माओवादी कार्यकर्ता हुक्रनहे धन्यवाद देहे चाहम्।
यी पेशाम लग्ना लौव युवा पुस्ताहुकन का कह चाहठी?
अब्बके समय प्रतिस्पर्धाके समय हो। प्रतिस्पर्धा करकलाग क्षमता अनिवार्य शर्त हो। पेशामे अइनासे पहिले पत्रकारिता पेशाके सम्भावना ओ समस्याके बारेमे बुझक् लग्लसे सही हुई। कोई लहड्के भरमे पत्रकारिता पेशामे लागल देखजाईथ्। दुईचार महिना, एकवर्ष पेशाम रहना, पाछे पेशा छोडके अन्य ठाउँमे जैना देखजाईथ्। कोइभी पेशामे लग्नासे पहिले ऊ पेशाके दुरगामी प्रभावके बारेमे बुझ्ना जरुरी रहथ्। नै त ओस्तह समय वर्वाद हुइथ्। तवमारे मै युवापुस्ता हुक्रनहे अनुरोध करम कि अपनेनके पहिले आपन क्षमता बनाई। जौन क्षेत्रमे क्षमता बनी ओहे क्षेत्रमे प्रवेश करी।
रेडियोमे नाउँ आई, पत्रिकामे बाइलाइन आई कना निहुँमे किल पत्रकारिता पेशाम जिनलागी। पत्रकारिता दुईदिनके लाग कर्ना नै हो। समस्यासे लड्ना हिम्मत रहल मनै किल यी पेशामे लग्बी त मजा हुई। समस्या बा कहिके पेशामे नाआई कहे खोजल नै हो। समस्याले लडे सेक्लेसे यी पेशामे भविष्य फे सुन्दर बा। सूचनाके स्रोत सबसे पहिले पत्रकार पैथैं। सूचना आजके युगमे सबसे भारी सम्पत्ति हो। यकर सही सदुपयोग कर्ना भर जरुरी रहथ्।
पत्रकारिता क्षेत्रहे थप जिम्मेवार ओ मर्यादित बनाईकलाग का करे परी त?
पत्रकारिता क्षेत्रमे लागल पत्रकार आज आपन पेशाहे सरप्थैं। डिग्री पास करकेफे न्यूनतम पारिश्रमिक जम्मा १० हजार ८ रुपिया तोकल बा। औरे पेशामे गैलसे एसएलसी पास करल मनै यिहीसे धिउर तलब पैथैं। सरकारी जागीरे पियनके तलब १३ हजार पुगसेकल। पत्रकारिता विषय लेके डिग्री कर्लसेफे नोकरीके सुनिश्चित्ता नै हो आभिन। यी यावत पक्षके व्यवस्थापन कर्ना बा। पत्रकारिता पेशाहे नीतिगतरुपमे व्यवस्थित बनाइ पर्ना बा। जबसम पत्रकार हुक्रनहे पत्रकारिता करल बापत आर्थिकरुपले सबल बनाई नैसेकजाई, तवसमे यी पेशा मर्यादित ओ जिम्मेवार फे बने नैसेकी। सरकार कना त पत्रकारिता क्षेत्रहे चौथो अंग कहथ् मने ऊ सब उधार बा। चौथो अंग पाइल बापत पत्रकार कौनो तलब नै पैथैं। पत्रकारिता क्षेत्रकेलाग राज्यके बजेट न्यून बा। यी पेशाहे जिम्मेवार बनाइकलाग सरकार खुद स्पष्ट नीति नियम बनाई नैसेक्ले हो। पत्रकारिता क्षेत्रहे व्यवस्थित ओ मर्यादित बनाइकलाग स्पष्ट सञ्चार नीति ओ पेशागत, व्यवसायिक ओ आर्थिक सुरक्षाके सुनिश्चि्ता पहिल आवश्यकता हो।
अन्तम यी पत्रिका मार्फत कुछु कह पर्ना बा की?
नेपाली पत्रकारिता भारी चुनौतिसे गुज्रता। पूर्ण प्रेस स्वतन्त्रताके आभिन सुनिश्चित्ता हुई नै सकेल हो। समाचार लिखल बापत पत्रकार उपर भौतिक आक्रमण जारी बा। आपन पक्षमे समाचार अइलसे ठीक, विपक्षमे अइतिकी आक्रमणमे उतर्ना लोकतन्त्रके मर्यादा विपरित हो। नागरिकलोग जस्ते काम कर्थै ओस्ते समाचार आइथ्। ठीक काम कर्लसे प्रशंसा हुइथ् गलत कर्लसे गलत समाचार प्रकाशन हुइथ्। आपन गल्ती विनहेर्ले पत्रकार उपर आक्रमण कर्ना, ज्यान मर्ना धम्की देना गलत बात हो। सुरक्षित ओ मर्यादित वातावरणमे पत्रकार हुक्रनहे समाचार संकलन तथा सम्प्रेषण कर्ना वातावरण बनैना सरकारके काम हो। अइना संविधानमे पत्रकार हुक्रनके पेशागत, व्यवसायिक तथा भौतिक सुरक्षाके सुनिश्चित्ता कर्नामे नेता तथा सभासदलोग लागैं कना आग्रह बा। प्रेस स्वतन्त्रता नै लोकतन्त्र नप्ना यन्त्र हो।
प्रस्तुती : सन्तोष दहित