तराईमे बहुप्रदेश : लेखी (थारु भाषा)

rajkumarअविनाश चौधरी, धनगढी- नेपाल आदिवासी जनजाति महासंघके निवर्तमान अध्यक्षसमेत रहल राष्ट्रिय नागरिक पार्टीके अध्यक्ष राजकुमार लेखी तराईमे बहुप्रदेश बनाइक पर्ना बटैले बटाँ। कुछ राजनीतिक दल आपन चुनावी घोषणापत्रमे ‘समग्र मधेस एक प्रदेश, तराईके २२ थो जिल्लाहे ‘एक थरुहट’ ओ पच्छिउँमे अखण्ड सुदूर पश्चिम बनैना प्रतिबद्धता आघे सारलप्रति लेखी विमती जनैलैं। अँटवारके बिहान धनगढीमे आयोजना कैगिल पत्रकार सम्मेलनमे उहाँ तराईमे एक प्रदेश सम्भव नै रहल कहती बहुप्रदेश बनाइक पर्ना बटैलाँ।
“पहाडमे बहुप्रदेश बनथ कले तराईमे फेन ओस्तके काहे नै बने सेक्ना”, लेखी थप्लैं–“बहुप्रदेश तराईके हीतमे बा।” अध्यक्ष लेखी जातीय राज्यके विरोध कर्ती, जाति, भाषा, भूगोल, संस्कृति ओ पहिचानके आधारमे संघ बनाइक पर्ना धारणा रख्लैं।
आपन पार्टी मङ्सिर ४ गते हुईना संविधान सभाके चुनावमे भाग नै लेहल ओ विरोध फेन नै कर्ना कहती लेखी थप्लैं– “नेकपा–माओवादी सहित ३३ राजनीतिक दल चुनाव बाहेर रना मजा सङ्केत नै हो। यी अवस्थामे ४ गतेके निर्वाचन ते हुई लेकिन समस्याके दीर्घकालिन समाधान ओ संविधान नै दी।”
वैद्य नेतृत्वके ड्यास माओवादीसहित विपक्षी दलहुक्रन निर्वाचनमे सहभागी कराइक लाग चुनावहे एक महिना पाछे सारे सेक्ना लेखी उल्लेख कर्लै। उहाँ कहलैं– “निर्वाचके सक्कु तयारीहे यथावत राखके मतदानहे किल एक महिनापाछे सारके विपक्षीन् चुनावमे सहभागि कराई सेक्जाई।” भारी राजनीतिक शक्ति बाहेर रहलमे हुईल निर्वाचन लगत्ते देशमे फेर भयाबह स्थिति सृजना हुइना बटैलैं।
राष्ट्रपति ओ चार/पाँच राजनीतिक दल संविधान नै बनैना गोप्य सहमति कै सेकल आरोप लगैती लेखी आघे थप्लैं– “यी शक्ति अभिन चार/पाँच बरससम् अन्तरिम संविधानसे देश चलाइक खोज्ले बटाँ।” उहाँ राष्ट्रपति लगायत ऊ चार/पाँच दल देशप्रति चिन्तित् नै रहल आरोप लगैलाँ।
ऋादिवासी जनजातिलगायत थारुहुक्रे जातीय नै होके पहिचान, समावेशी सहितके संघीय राज्य मंगतीरहल लेखी बटैलाँ। यद्यपि, आदिवासी जनजाति भित्रेके अतिवादी, पश्चिमा संस्कृति ओ क्रिश्चियनीतिसे परिचालित रहल नेतालोग जातीय राज्यके बात उठैती रहल लेखी उल्लेख कैलाँ।

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