कृष्णराज सर्वहारी- २०६५ फागुनके डोसर अठ्वारसे उठल थरूहट आन्दोलन पाँचौ बरसमे टेकल। मने थरूहट लगायतके पहिचान सहितके प्रदेश अब्बे संकटमे बा। खास कैके २०६९ जेठ १४ गते संविधान घोषणा नै हुइलक बाद यी अन्यौलता आउर बह्र गैल बा। संविधान घोषणा कैनासे पहिले नान गैलक प्रदेशके खाकामें दाङसे पश्चिउँ कञ्चनपुरटक थरूहट उल्लेख बा, मने नेकपा माओवादीके लेखराज भट्ट समूह तत्कालिन मंत्री रहल बेलामे जो अपने पार्टीक नानल खाकाके घोर विरोधमे उत्रलाँ। ओ, अखण्ड सुदुरपश्चिमके नारा लगैटी कैलाली, कञ्चनपृरहे अखण्ड सुदुरपश्चिममे जो ढैही पर्ना आवाज निकरलाँ। आउर टे आउर दिनेश श्रेष्ठके अगुवाइमे अखण्ड मध्यपश्चिमके नारा फेन लागल रहे।
मने थारू समुदाय फेन आन्दोलनमे पाछेसम आपन आङ आँखर करल। कम्तीमे दाङसे पश्चिउ थरूहट सुरक्षित हुइ परल कनामे खासकैके कैलालीम् २०६९ वैशाखमे बरा आन्दोलन उठल। थरूहटके समर्थनमे उठल समूह उपर प्रहरीनके चलाइल गोलीले नवलपरासीमे धनबहादुर ठनेट थारू ज्यान गँवइला, ओहाँ हे शहीद घोषणा टे कइ गइल, मने दोषी उपर कौनो कार्वाही नै हुइल। जबकि नवलपरासीमे थारून्के संग्रहालयमे आगजनी कैना घृणित काम फेन कैगइल रहे। यी सब आन्दोलनमे प्रशासनके जो घुसपैठ रहे। आन्दोलनकारीन् छान छान पिट्ना, अखण्ड सुदरपश्चिमके भीडमे प्रहरी प्रशासनके मनै जो आउट ड्रेसमे मुठ्ठी उठैना काम कइ गइल डेख्गैल रहे।
थारून्के पछिल्का आन्दोलनमे मिडियक फेन मजा रोल नै रहल। थारून्के बरवार भीडहे टेलिभिजनमे डेखाइबेर उल्टे अखण्ड सुदुरपश्चिमवालेन्के भीड छोट रहल ओर्से ओइनमे लैजाके जोरडेना ओ ब्याख्या कैना कि हेरो अखण्ड सुदुरपश्चिमके लहर चलटा।
उप्रक प्रसंगले का डेखाइठ कलेसे आपन अधिकारके लाग आन्दोलन कर्ना टे पर्लि बा। मने प्रशासनसे लेके मिडियमसम फेन हमार प्रतिनिधि हुइना ओत्रे जरुरी बा। जिहीसे थरूहटके रक्षाके लिए ठोरचे हुइलेसे फेन पहलकलमी होए। उहीसे अहम् सवाल राजनीतिम लागल थारू समुदायक नेतन्के अक्के स्वर थरूहटके लाग उठ्ना चाही। विडम्वना यी पक्ष बहुट खांेखर बा, ओहेसे थारू नेतन् अक्के मञ्चमे बैठके थरूहट प्रदेशके लग विचार मनथन करिट। भलही लक्ष्मण थारु, योगेन्द्र चौधरीलगायत नेता २०६९ असोज १८ मे मधेशी जनअधिकार फोरम (लोकतान्त्रिक) मे छिरसेक्लाँ, मने थरुहटके मुद्धा ना छोरिट कना आम थारू सुमदायके भावना बा। यम्ने थारू नेतन् खेलवार ना करिट। (यी पृष्ठके डोसर अंक थरुहट आन्दोलन विशेषांक निकार जाई। अपन बिचार पठाइक ना भुलैबी)
थारू साहित्यकारन्के अन्तर्राष्ट्रिय सम्मेलन
इहे पुस १० गते बाँके गाभरके होमस्टेमे जुटल पश्चिउहाँ थारूभाषी साहित्यिकारन्के भेलामे एकठो महत्वाकांक्षी निर्णय हुइल। उ हो– थारू साहित्यिकारन्के अन्तर्राष्ट्रिय सम्मेलन कर्ना।
थारू भाषामे साहित्य रचुइयनके क्षेत्रीय, राष्ट्रिय भेला नै हुइ सेकल अवस्थामे अन्तर्राष्ट्रिय सम्मेलन कर्ना महत्वाकांक्षी योजना नानगैल बा। ओसिन टे कौनो फेन कामके लाग पैला नसर्लेसे ठाउँमे पुगे नैसेक्जाइठ। गाभरके भेटघाट पैला उठैना जौनबहस उठैले बा, यी बहुट समसामयिक ओ समय सान्दर्भिक बा। जंग्रार साहित्यिक बखेरीक कार्यक्रममे फेसबुकके सूचनाके भरमे अफ्गानिस्तानसे गोपी चौधरी आइल रहिँट। जे आगामी दिनमे हुइना थारू साहित्यिक सम्मेलनहे खुल्के सहयोग कर्ना निर्णय कर्ला।
ओसिन टे गैल बरस फागुनमे नेपालगञ्जमे महावीर चौधरीक् अगुवाइमे विश्व थारू युवा सम्मेलन हुइल रहे। यी सम्मेलन विश्व भरीक् थारू एक हइ कना एकखालके विशिष्ट सन्देश डेले रहे। मने कार्यक्रममे कैगैल छलफलमे ढेर प्रतिवेदन प्रुस्तुतिक् कारण ठोस कौन उद्धेश्यसे यी कार्यक्रम कैगैल, प्रस्ट हुइ नै सेकल। कार्यक्रम समापनसँगे एकठो समिति फेन बनागैल, यी समितिक् सकृयतक् बारेम कौनो चालचुल नै सुनगैल हो। यद्यपी इमेलमार्फत् यी अपन सञ्जाल जारी रख्ले बा।
२०२८ सालमे थारू भाषके पैल्हा पत्रिका गोचाली प्रकाशनके समय गणना कर्ना हो कलेसे थारू साहित्यकार एकजुट होके काम करी कना छलफल कर्लक् ४२ बरस नाँघ सेकल। मने यी ४२ बरसके अवधीमे एकफेरा फेन थारू साहित्यकारलोगन्के भेला नै हूइ सेकल विडम्बनापूर्ण अवस्था बा। यी अवस्थामे गाभर मे बैठल थारू साहित्यकारलोगनके भेला जौन थारू साहित्यकारलोगन्के अन्तर्राष्ट्रिय सम्मेलन कर्ना सोँच बनैल बा, यी अपनेमे ऐतिहासिक बा। जेकर छनक २०६९ फागुन ५ ओ ६ गते देउखरके जंगलवाकुट्टीमे फेन डोस्रे थारु साहित्यकारलोगनके बृहत भेला डे सेक्ले बा। यकर हालीसे हाली कार्यान्वयन हुइक चाही।
सगुनके सपना
गोचाली पत्रिकाके संस्थापक मध्ये एक सगुनलाल चौधरीक् मास्टरी कर्टी कर्टी सपना रहिन्– थारू साहित्यहे उप्पर उठैना। इहे सिलसिलामे उहाँ २०२९ सालमे एक बरस जेल समेत परल रहिँट। २०५८ पुस १२ गते सेना वेपत्ता पर्लक बाद उहाँक् कौनो अटा पटा नै हो। हुकार नाउँमे पुरस्कार स्थापना हुइल बा। हुँकार सम्झनामे प्रत्येक बरस उहाँ पह्रैटी रलक स्कुल वैदी, बर्दियामे मेरमेरीक कार्यक्रम हुइठ। मने उहाँक् गोसिन्या छेग्री चह्रैटी दिन विटाइटिन। कौनो समय बेसके कार्यक्रम रहल बेला डिल्ली चौधरी हुँखिन डाई कहिन। आझ कोइ छावा भेट करे नै जैठिन । का मोर बुहि्रया छेेग्रिन्या जिन्गी जिए कना सगुनके सपना रहिन टे?
छाई छाव्नके चाहना
कबो कबो खुशीक् छलाङ आइठ। इहे फागुन ५ गते लावा डग्गर त्रैमासिक परिवार साहित्यमे सेवा कर्लक कैहके सम्मान करल कलेसे इहे फागुन १० गते यी जिउ मातृभाषा सेवा पुरस्कारसे सम्मानित हुइल।
इहे बीच्चेम कक्षा ११ मे मानविकी संकायमे टप आके मोर मझली छाई कुछ नगद रकम पुरस्कार लेले महिना दिन पहिले फोहैटी आइल। उ जत्रा रकम लेके आइल, ओत्रा ओकर साल भरिक शुल्क टिरके फेन उबरठिस। आब् ओकर फर्मायस बटिस कि बाबा मही टच स्क्रीनवाला मोवाइल चाहल। जबकि कलेजमे मोवाइल लैजैना सुविधा नै हुइन्। भिडियो सुविधा रलक मोवाइल मै समेट नै बोक्ठु, जौन कि उही सुविधा डेले बटुँ। आजकलिक लर्का हरेक चिजमे बाबासे एक कदम आगे बटाँ। मने मही लागठ, बाबा कलक बाबे हुइट।
साभारः २१ फागुन, गोरखापत्र