सीएन थारू– नेपाल के राजनीति असहमति चल्ते वितृष्णा में परिणत भेल्छै। अखुन राजनीति के विषय में जनतासब अलग अलग धारणा बन्या के बैठल छै। ककरो लेल यी संकट सावित भेल्छै त ककरो लेल सोना के संसार। फरक यते शक्ति संरचना में पावल गेल्छै। डा. बाबुराम भट्टराई काम चलाउ प्रधानमन्त्री त चियै, नेपालके कानुन अनुसार ओकर हैसियत सीमित हैतो नेपालके राजनीति में शक्तिशाली प्रधानमन्त्री बनल छै। भर्खरे संयुक्त मधेसी मोर्चा के बैठक कोनो भी हालत में सरकार गिराबैके पक्षमें नै छै से निर्णय करल्कै। यकर मतलब विपक्षी के आन्दोलन से सत्ता नै गिरतै तकर अन्दाज करल गेल्छै। यी सरकार के घेराबन्दी जै कारण से भ्या रहल्छै, विपक्षीसब एक ठाम आइब के सहमति करैये परतै। कहल जाय त सहमति वेगर निकास के कोनो उपाय नै छै आ यी सम्मानिय राष्ट्रपति सोहो महसुस करने छै। देश के राजनीति तिब्र धुंवीकरण में गेल्छै।
डा. बाबुराम भट्टराई जे जे बोइलरहल्छ्रै, तकरा विश्लेषण करला से यी सावित भ्यारहलछै कि प्रतिपक्षी के भाउ नै छै। प्रतिपक्षी दलसब प्रधानमन्त्री फेरैके बात करैछै ता कि संविधानसभा अथवा संसदीय चुनाव करैले सहज बने। आपन आपन नेतृत्वमें चुनाव करावैले खोजैके मतलव साम, दाम, दण्ड, आ भेद प्रयोग कैरके चुनाव के नतिजा आपन हाठ में आनैके चाह चियै। असली बात त सत्ता चियै और मार्क्सवादी त सत्ता के मात्रे सत्य बतावै छै आ बाँकी सब भ्रम। स्वभाविक छै कि डा. भट्टराई सत्ता कोनो भी हालत में छोरे नै चाहतै। तहौ में अखुन्का राजनीतिक दाह में भट्टराई सरकार शक्ति मेल में अब्बल देखल गेल्छै। संसार में शक्ति फेरबदल के नतिजा बमोजिम पश्चिम ध्रुव से शक्ति एशिया में केन्द्रीकरण भ्यारहल स्थिति के डा. भट्टराई सहज रुपसे बुझ्ने छै। दक्षिण एसिया में चीन के भारत एकटा केन्द्र बनैले कोशिश कैर रहल्छै त दक्षिण पूर्वी एसिया में चीन के प्रभाव देखल ज्यारहल्छै। यी शक्ति केन्द्र में सन्तुलन मिल्याके डा. भट्टराई सत्ता के खेल जोखिम उठ्याके खेल्ने छै। तकर परिणाम प्रतिपक्षी के भाउ में कमी आ राष्ट्रपति के निस्तेज बनावैले भेल प्रयास स्वयं में मननयोग्य छै। विशेष कैर के मधेसी मोर्चा डा. भट्टराई के सरकार कोनो भी हालत में बचावैके मनस्थितिमें छै। राष्ट्रिय शक्ति सन्तुलन में मधेसी मोर्चा के साथ में राखैत डा. भट्टराई स्वयं ४ बुँदे सहमति प्रति प्रतिबद्ध रहल स्थिति में कोनो भी तागत नाकाम हैके सम्भावना छै।
नेपाली काँग्रेस आ एमाले यी भ्रम में नै छै कि डा. भट्टराई सत्ता हस्तान्तरण कैर द्यात, मात्रे डर यी देखल गेल्छै कि आब सहमति कैलो से अंश कम मिलत। तकर बढोत्तरी के लेल काँग्रेस आ एमाले विरोध कैर रहल्छै। शक्ति में तत्काल फेरबदल हैके सम्भावना नै छै। द्वन्द्वकाल के मुद्दा उपर आन्दोलन मच्याके हाथ लागि शुन्य तकर विकल्प काँग्रेस आ एमाले दैले सक्षम नै छै। भित्तरे भित्तर गलैत ज्या रहल्छै आ प्रधानमन्त्री के खातिर झगरा करैत रहतै त डा. भट्टराईके नेतृत्व के कामचलाउ सरकार निरन्तर समय बरहाबैत जेतै। तहौ से आब कोनो भी हालत में सहमति बने कैहके दवाव देने से सडक संघर्ष के अर्थ देखल जेतै। कथिले त कहावत छै कि खुदा मेहरवान त कदू पहलमान यकर अर्थ वास्तविक रुपसे डा. भट्टराई नेतृत्व के सरकार सावित कैर देल्कै। स्वयं प्रचण्ड के दाह अखुन असफल भ्या गेल्छै। कहल ज्यात डा. भट्टराई योजनाबद्ध रुपसे होसियारी देखेने छै। चौतर्फी विरोध के बाबजुद कोनो किसिम के भय महसुस नै करैके मुख्य कारण राष्ट्रिय अन्तर्राष्ट्रिय शक्ति सन्तुलन में रहल पकड के एकमात्र असर चियै। यै समय में डेरिक जेन्सन के सुझाव काम लाइग सकैये। डेरिक जेन्सन कहैछै कि मालिक के घर मात्रे कोनो एक औजार से नै ध्वस्त करल ज्या सकैये चाहे उ औजार वहस, हथौडा अथवा उच्च विष्फोटक पदार्थ कथिले नै हेवे। यकर मतलव विपक्षीसब के विरोध यत्हेक हल्का पारा से उठान भल्छै कि तकर भाउ पावैके सम्भावना नै देखल जाइछै।
नेपालक राजनीति में शक्ति के श्रोत हन्टीटन विचार भ्या सकैये। पहिचान के संघर्ष मत्थर बनैत ज्यारहल्छै। अखुन पहिचान के आधार में संघीयता खोजी करैबला शक्ति पुरे भ्रम में छै। अशोक राई के नेतृत्व में खुलल संघीय समाजवादी पार्टी जे एमाले से विद्रोह कैरके मुलतः स्थापना भेल्छै आ चैतन्य सुब्बा लगायत के नेतृत्व में खुलल सामाजिक लोकतान्त्रिक पार्टी दर्ता करल गेलै काँग्रेस से वहिर्गमन हैत, तकर वाद पार्टी निर्माणके वाद पहिचान कायम भ्यागेलै अथवा पार्टी से छोरलाहा घोषणा प्रमाणित भ्यागेलै ट? थरुहट तराई पार्टी थरुहट आन्दोलन के पुँजीकृत करैके अर्थ में बनलै तकर वैचारिक धरातल अस्पष्ट छै आ पहिचान के लेल ओकर भूमिका कत्हेक? सवाल ठीक सामुने छै। शक्ति के श्रोत हन्टीटन बतेने छै कि स्थानीय राजनीति जातीय पहिचान से आ अन्तर्राष्ट्रिय राजनीति सभ्यता के आधार में चल्तै। तैहनङे महाशक्तिसब के बीच हैबला दुश्मनी सभ्यतासब बीच देखल गेलसे प्रतिष्ठापित हेतै। यी आधार में नेपाल के राजनीति परिवर्तन भ्यासकैये। तकर अगुवाई किटानी विचार, किटानी नेतृत्व आ किटानी योजना मार्फत मात्रे हैके लक्षण देखल गेल्छै। किटानी विचार में नवउदारवाद पुँजीवाद अथवा मार्क्सवाद आब काम नै करतै। दोसर वात चुनाव केन्द्रीत योजना त अवसरवादी धार चियै जते विग्रह के सम्भावना अधिक देखल जाईछै। यकरा इतिहास के निरन्तरता सोहो कहल ज्या सकैये। अखुन क्रमभङता के आवश्यकता छै आ जनमुक्तिकरण से बचावैके अनिवार्य पक्ष में भूमिका आदा करैके छै। यी क्रमभङता लवकाँ निर्माण के ढोका खोल्तै।
अन्त्यमें जाति, वर्ग संघर्ष के राजनीतिक विचार किटानी करैले संघीय समाजवादी आन्दोलन करिब अढाई वरिष से निरन्तर लागल छै। संघीय समाजवादी आन्दोलन निष्कर्ष में सम्पूर्ण ऐतिहासिक आदिवासी राष्ट्रियताहरुको मुक्ति क्रान्तिकारी अग्ररक्षक पार्टी बिना सम्भव नै भ्यासकैये। आदिवासीवाद विश्वदृष्टिकोण में आधारित वहुलराष्ट्रिय लोकतन्त्र, संघीयता आ समाजवाद के राजनैतिक विज्ञान के जगमें निर्माण भेल क्रान्तिकारी अग्ररक्षक पार्टी विना अगा बरहयाल जाति–वर्ग संघर्ष परिणामविहिन हैके ओत्वेहेक सम्भावना छै। संसारके सर्वहारा वर्ग अखुनका विश्व के प्रथम राष्ट्र आदिवासीसब सहित के उत्पीडित जाति–वर्ग चियै। सामन्ती, साम्यवादी आ उदार पुँजीवादीसब यी आदिवासी उपर अतिक्रमण, सम्मिलिकरण, दमन, एकाधिकार आ कत्हेक घटनासब त जातीय सफाया के लेल करल सावित भल्छै। यै से आदिवासी प्रशासन के अधिन में जियैले विवश छै। तहौ से नेपालके आदिवासी आन्दोलन प्रशासन के विरुद्ध केन्द्रीत छै आ स्वशासन के साथ संघीयता के खातिर वलिदानीपूर्ण संघर्ष से सम्बन्धित छै। यकर लेल हर हालत में वैचारिक तैयारी, राजनैतिक तैयारी, संगनात्मक तैयारी आ भौतिक वा आर्थिक तैयारी पूरा करैके विद्रोह सम्पन्न करल ज्यासकैये। ताबे ज्याके सत्तामें हिस्सेदारी आ आपन राजनीतिक क्षेत्रमें मालिकत्व दावी करैके सक्षम देखल जेतै। तहौसे आब सबसे पैहने आपन अज्ञानता हटावैके छै आ वास्तविकता खोजी करैत संघर्षमें जोड दैवला विकल्प अपनावैके डगर तत्कालिन कार्यभार देखल गेल्छै। यी सबके हित में छै आ लवका नेपाल के विकल्प चियै।
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