गैइल अठ्वार डस्यक अवसरम डस्यक गोरपासुः पहिचानक याट्रा लेक दाङसे बुह्रानसम अभिायन चलल । यिह विषयम डस्यक गोरपासुः पहिचानक याट्राक संयोजक एवम थारु पत्रकार संघके केन्द्रीय अध्यक्ष कृष्णराज सर्वहारीसे युगवोध दैनिकक थारु भाषा पृष्ठ मटान अङ्नाके संयोजक सन्तोष दहितसे करल बातचित प्रस्तुत बा ।
अप्नहुक्र डस्यक् अवसरम साताव्यापी गोरपासुः पहिचान याट्रा अभियानम निस्कल रलही । कसिन खालके पहिचानके याट्रा हो । स्वाँचल जसिन याट्रा हुइल की नाही ?
मौसमके कारन कुछ कार्यक्रम फेरबडल हुइले से फेन कार्यक्रम समग्रमे बहुट मजा हुइल । यि याट्राहे हम्रे डस्यक गोरपासुः पहिचान याट्रा कले रहि । डस्यामे खानपिन किल खाके मनैनासे थारु भाषा, साहिट्य, संस्कृटि भासिक अधिकार अर्ठाट् थारुन्के समग्र अधिकारबारे जागरनमुलक कुछ उपलब्धिमुलक कार्यक्रम हुइ कि कहिके यि कार्यक्रम कैगैलक हो । गाउँघरमे थारु भाषा, संस्कृटिप्रटि बहुट उट्साहिट भेटैलि । जनटा निरास नैहुइट । मने उट्साह बह्रैना मनैन्के कमि खलल बा ।
याट्रा के खास उद्देश्य ओ लक्ष्य का रह ?
हमार अभियानमे संयुक्ट रास्ट संघके आदिबासि जनजातिनके अधिकार हेर्ना एसिया छेट्रके सदस्य फुलमान चौधरी, मानवअधिकारकर्मि ओ गिटकार, कवि सुशील चौधरी, मै थारु पत्रकार संघके केन्द्रीय अध्यक्ष कृष्णराज सर्वहारी, क्याम्रापर्सनके रुपमे संघके बर्दिया जिल्ला अध्यक्ष सरम चौधरी रहि । प्राविढिक समस्याके कारन साहिट्यकार छविलाल कोपिला, पहुरा दैनिकके प्रकासक÷सम्पाडक स्माइल चौधरी याट्रा टोलि सडस्य रलो पर जाइ नैसेक्लाँ । फुलमानजि संयुक्ट रास्ट संघके आदिबासि जनजातिनके अधिकार हेर्ना एसिया छेट्रके सदस्य ३ बरसके लग (सन् २०१७–२०१९) निर्वाचित हुइलकमे थारुन्के का कसिन इस्यु संयुक्ट रास्ट संघमे उठाइ सेक्जाइठ कहिके नेंगल रहिट, उहाँ बहुट उट्साहिट बटाँ ।
पहिचानके याट्रा म कहाँ कहाँ पुग्ली ?
पहिचान याट्रम् हम्रे दाङके रातगाउँ, धमकापुर, गढवा पुग्लि, जहाँ क्रमसः स्थाानिय गुरुबाबा सहकारी संस्था जंग्रार साहित्यिक बखेरी, साउदी शाखा ओ थारु भाषा तथा साहित्य संरक्षण मंच सघाइल । ओस्टक बाँकेक् बैजापुर ओ टिटिहिरिया पुग्लि, जहाँ थारु पत्रकार संघ बाँके शाखा ओ स्थानिय बरघरलोगन्के समुह ओ कीर्तिपुर रना मनोज हर्दिउला भइया सघैलाँ । यि बाहेक बर्दियक् मजोरबस्टि, पर्सेनी ओ लक्ष्मणपुर गाउँमे कार्यक्रम कैगैल । यहाँ क्रमशः स्थानिय क्लवलोग सहयोग साठ डेहलाँ ।
साताव्यापी याट्रा न्याङ्गबेर कुछ लौव चिज भेटैइली की ?
जरुर मिलल । जस्ट कि दाङके रातगाउँम गुरुबाबा सहकारी संस्था स्थानिय किसानलोगनके टिना टरकारिके बजारिकरनमे टे सहयोग कर्ले जो बा, यि बाहेक यि संस्थासे गुरुबाबक् जन्मौटि छापल सुचना सहिट हाँठ फेन परल । जबकि इहिसे पहिले २०३८÷०३९ सालमे महेश चौधरी बाहेक औरे जे यि पोस्टा छापल पटा नैचलल् रहे । उहाँलोग अनुसन्धान कैके जडिबुटिसे उपचार बारे फे मजा पोस्टा निकरले बटाँ । धमकापुरमे बोर्डिंग स्कुलमे फेन थारु पोस्टा चलाइल मिलल । गढवाके कार्यक्रममे एमाले नेटा भगवती चौधरीक् लिखल मोर जियाके बात पोस्टाके बिमोचन कार्यक्रममे सहभागिटा जनागैल, उहाँहे ठप पोस्टा लेखनके लग उट्साह डेगैल ।
बाँकेक् बैजापुरमे बरघर, गुर्वा, किसानलोगनसे स्थानिय सवालके बारेम, गाउँक् नामाकरनके बारेम जौन मेरिक छलफल चलागैल, उहाँलोग सांस्कृटिक नाचगानके साठ साठ ऐसिन कार्यक्रम पैल्हा फेरा हुइल कहलाँ । उहाँ थारुन्के भुवरभवानि मन्दिर बा, जहाँ थारु हरेक बरस जेठ ओ अघनमे बरवार पुजा कर्ठा । मने यहाँ निट्य पुजा भारतके पुजारीलोग करल डेख्के डुख लागल । बाँकेक् पेडारीम निर्ढारिट कार्यक्रम टयारि नैपुगल कारन स्ठगिट हुइल, मने उहाँक् टिटिहिरिया गाउँमे मनोज हर्दिउला भइयक् सहयोगसे स्थानिय बुड्ढिजिविनसे खासकैके डेसौरि भासक् लोकसाहिट्यके संरच्छन कसिक करे सेक्जाइ ओकर बारेम केन्डिरिट होके छलफल चलागैल । उहाँलोग कौनो न कौनो पोस्टा हालिसे हालि छप्ना प्रटिबड्ढटा कर्ला ।
बर्दियक् मजोरबस्ति गाउँमे उड्घाटन हुइल कार्यक्रम पानि परल कारन स्ठगिट करे परल । मने उहाँक् मनाउ–६ पर्सेनी गाउँमे २ ठो थारु गिटि क्यासेट ओ बालिका चौधरीक् निबन्धके पोस्टा ‘जीवनका बक्र रेखाहरु’ विमोचनके कार्यक्रमके साथ नाचगान फेन चार चाँड लगैले रहे । ठाकुरद्वारम थारु होम रेसोर्ट चलाइल मोहन चौधरी टिनु स्रस्टन जनहि डस डस हजार प्रोट्साहन रकम डेना कहिके उट्साह बह्राडेलाँ । लग्ढार कार्यक्रम कर्लेसे गाउँक् नुकल स्रस्टनके खोजि, बुड्ढिजिविनके उट्साह बह्रठ, जिहिसे लावा लावा कार्यक्रम बनाइ सेक्जाइठ कना हमार ठहर बा ।
डस्यक् ब्याला पहिचानक याट्रा म निक्रलक ओर्से डान्चे डस्यक बाटफे खिटक्वारटु । अप्नहुक्र यी याट्राम दाङसे बुह्रान घुम्ली । थारु गाउँम नाचजैना डस्यक सख्या, पैया नाचम जिल्लाक हकम कसिन अन्टर पैलि ?
अन्टर बा । लगाम फरक बा, मन्डरक ख्वाटमे फरक बा, पैया लग्नामे फरक बा । बर्दियाके जोतपुर गाउँमे राटके एक बजे नाच हेरे जाइबेर कान्हासे कुइलरिया मुवल प्रसंगके गिट आइल रहे । हम्रे घरे आइ लग्लि टे कुइलरिया नैजियट सम जाइ नैपैबो कहलाँ । टब टे डस्या मनाउ कहिके घर छिरेबेर घरेम फे बैठे नैमिलठ कहिके उहाँसे फे निकार डेलाँ । अंङनम डोनाखोंचि पिलि । गिटमे अट्रा भारि विस्वास नुकल डेख्के मै छक्क पर्लु । जोतपुर गाउँमे ६÷७ बर्सक् भइयन फेन मन्डरा बजाइट डेख्के बहुट खुसि लागल ।
पुर्खासे नच्टी अइलक महिनौ डिनसम नच्ना डस्यक सख्या, पैया नाच दाङके बहुट गाउँ हेराचुकल बा । खास कारण का हुई ?
मै यि बाटहे नैमन्ठुँ । जस्टे कि बर्दियक् राजापुर क्षेत्रके ११ गाविसके सक्कु हस गाउँमे सख्या जम्कल डेख्गैल । दाङदेउखरमे हेराइल कहटिमे यि नाच हेराइटा कना बाटेम डम नैहो । बाँकेक् धामपुर गाउँमे आब लँवरियन पह्रनामे ढ्यान लगाइल ओर्से सख्या नाचक् मन नैलागल लौंरन आरोप लगैलाँ । मने लँवरियन मन्डरियक अभाव डेखैलाँ । ओइनके कहाइ रहिन्– मन्डरियन मन्डरा बजैलेसे टे हम्रे नाच डारब जे । बहुट बरस बरघर चलाइल उ गाउँक महटाँवा अपने महटै छोर्लक बाडसे धामपुरसे सख्या नाच हेराइल जनैलाँ । उहेसे समस्या अगुवन्मे बा, जहाँ अगुवन् सकृय बटाँ, उहाँ सख्या बँचल बा ।
खास कना हो कलेसे थारुन्हक हरेक टै टिह्वारम आपन छुट्ट किसिमक पहिचान बा, नाचगान, संस्कृटि बा । उह फे विविध कारनले हेरैटि जाइटा यिहन बचाइकलाग सख्यामे पिएचडि बुझासेकल अनुसन्धानकर्टाके हैसियटले मोर अनुभव का कहठ कलेसे आब थारु गाउँ गाउँमे होमस्टे खुल्ना अवस्ठा हुइल कारन कौनो नाच लोप नै हुइ । मने इहि होमस्टेमे सिमिट नै करे परल । गाउँक् महटाँवालोग जागे परल । आपन गाउँहे चम्पन बनाइक लग अगुवालोग नैजागट सम अपनेक उठाइल सवाल अन्सार ब्यापारिकरनके रुपमे यि बँचे सेकठ, मने गाउँ सुन्य हो सेकठ । ओहेसे आब सांस्कृटिक जागरन जरुरि बा ।
ओरौउनीम, कुछु कहपर्ना बा की ?
मै डस्यक लगट्टे लिम्बुवान छेट्र ताप्लेजुंग, पाँचथर ओ इलाम जिल्ला घुम्लुँ । उहाँक् लिम्बुलोग फेन थारुन्हस आपन कला, संस्कृटि हेरैटि गैलकमे चिन्टिट बटाँ । मने कला, संस्कृटि जोगैना उहाँ फेन ठोस प्रयास नैहो । डेस संघियतामे गैसेकलमे फेन आ आपन पहिचानके लग कुछ ठोस योजना नैबनाके सम्बन्धित समुह, निकाय चिमचाम रलेसे संघियता आइल का अर्ठ ? अस्टे जागरनमुलक कार्यक्रमके लग डस्यक गोरपासु कैगैलक हो । यि अभियानहे हाल थाइलेन्डमे रहल प्रेमसिंह थारु कुछ सहयोग कर्ले रहिट । सहयोगि हाँठ मिलहि कलेसे असिन गोरपासु आब नियमिट कर्ना सोंच बा ।