बीथारु- २०६४ साल म हुईल संविधान सभाके चुनाउओ गठन हुईल पाछ नेपालीजनतन म सक्कु जनतनके भलाई हुईनामेरके संविधानवनिकनाआशा रहिन। मने पहिल संविधान सभालौव संविधानविना देल विगठन हुईल पाछ दोसर चो फेनसे संविधान सभाके चुनाउहुईल सक्कुन्हपतै वा। पहिल संविधान सभाके चुनाउ म संघीयताके ढाँचा समेत प्रतिवद्धता पत्रजनतन के सामने चुनाउ लरल तत्कालिन नेकपामाओवादीकन्चनपुरसे दाङ्गसमके पाँचजिल्लाके २३ ठो निर्वाचन क्षेत्रमसे २१ ठो सिट म जितल रह। वाँकेके २ ठो सिट म मधेसी जनाधिकार फोरम जितल रह। यी नतिजासे दादाङ्गसमके क्षेत्र थारुवानबनी कैहकअनुमान कैगिल रह। काखर किजनमत हेरवेर ओस्तह देखपरल रह। याकर अलावा संविधान सभाके राज्यपुर्नसंरचनातथा राज्यशक्तिके वाँडफाँड समिति फे यि क्षेत्र ह थारुवान, अवध, लुम्विनीकैक आपन मस्यौदा पारित करल रह। यिहिहन फे चित्त नैबुझके तत्कालिनविपक्षीदल नेपालीकाँग्रेस ओ नेकपाएमालेके सभाषदओ नेताहुँक्रसंघीयताके सवाल म एकठो अलग्गआयोग वनैना करल मागअनुसार एक ठो आयोग वनल रह। उ आयोग फे राज्यके पुनर्संरचना करबेर कन्चनपुरसे नवलपरासीसमके क्षेत्र ह थारुवान/थरुहट, मधेस, लुम्विनी कैहकआपन सुझाव पेश करल रह। मने पहिल संविधान सभा म विपक्षी रहल नेपालीकाँग्रेस, नेकपाएमाले लगायतके कुछ दलहुँक्रयिहि ह नैमानल सक्कुन ह पतै बा। यि संविधानके विवादितविषय म सहमतिहुईनैसेकलअवस्था म वहुमत रहल सभाषदहुँक्रपक्रिया आघ वह्राए सभाध्यक्ष ह कहवेर यिह सभाध्यक्ष सुभाष नेम्वाङ्ग नैमानल परिस्थितिके संग संविधान सभाके म्यादआकुर थप कर नैमिल्नाआशयके सर्वोच्चअदालतके फैसलाके कारनसे पहिल संविधान सभाओस्तह वेकार गैल वाट आभिन फे वहुत मनैनके सम्झना म शायदपर्लिहुई।
दोसर चो हुईल संविधान सभाके चुनाउओ ओकर आधारम गठन हुईल संविधान सभासे एक वरसभित्तर कलक २०७१ साल माघ ८ गते लौव संविधान देना कैहक करल वचनअनुसार नेपालीजनतालौव संविधान भेटाई नैसेकलअवस्थावा। यि समय म विवाद या झगराके खास जर पुरुवओर सुनसरी, मोरङ्ग, झापाओ पच्छिउँओर कन्चनपुर, कैलालीजिल्लाकौन प्रदेश म लैजैना कैहकवात नैमिललवताजाईठ। यि विषय म खासकैक सत्तारुढ दल नेपालीकाँग्रेस, नेकपाएमाले लगायतदलओ सत्तारुढ दलसे वातमिल्नाराष्ट्रिजनमोर्चा, परिवार दललगायतके दलओ नेताहुँक्रकब्बु थरुहट एकठो जातीयप्रदेश वटैठ तकब्बु कठकन्चनपुर कैलाली पहाडसे नेमिलैलसे राष्ट्र विखण्डन हुई। यिवात ह सामान्य रुपम सुनवेर खासै मजा नैलागठ। काखर कि राष्ट्रिय एकताहुईना नैमजावात नै हो। मने गहिंरक वात ह ध्यान देवीकलसे का थरुहट जातीयनाउँहो?कन्चनपुर कैलाली पहाडसे नैमिली त राष्ट्र विखण्डन हुई?कनाविषय म गहिर क छलफल हुईक पर्ना जरुरी देखपरठ।
तराईके ईतिहास हेर्वी कलसे यि एक ठो वहुतपहिलसे थरुहट या थरुवाट क्षेत्रके रुप म चिन्हजाए। दाङ्गके थारुहुंक्र यि क्षेत्र ह “वुह्रान” फे कहटि आईल वाट। थारु कैक चिन्हजिनाहमार समाज म “थारु”कलकवयस्क, सक्षम मनैया, लडाकु या योद्धाके रुपमजानजाईठ कनाअप्नन ह फे पतैवा। पहिलप्राकृतिकविपतअईरहलअवस्था, रोग ओ महामारी हुईटि रना, जंगलीजनावरके आक्रमण हुईटि रना जैसिनअवस्था रह। यि अवस्था म फे जैसिक फे यिह ठाउँ म प्रकृतिसे मिलके, जंगलीजनावरसे लरक रहकपर्ना जैसिनवरा मुश्किलजिवन उ समयके मनैनके रह। यिह ओरसे “थरुहट” कलक जैसिनअवस्था म फे जिहिसे फे लरअ सेक्नाजवान मनैयनके फाँरल, वैठल या कमाईल क्षेत्र (जग्घा)ा कनाहो। जस्तह “नेवा” क्षेत्र म वैठुईयन ह नेवार, अछाम म वैठुएन ह “अछामी” डोटी क्षेत्र म वैठुईएन ह “डोट्याल”कहिजाईठ ओस्तकथरुहट म वैठलक ओरसे यि ठाउँम वैठुईएन ह “थारु”कहिगिल कैकतमानजन्नासुन्ना मनैनके कहाई वाटिन। अप्नह फे पताहुई, थारु जातिनन म त “दहित, पछल्डँग्या, उल्टह्वा, नोनबुआ, कर्यामगरह्या, कुश्मी, मग्गर, कन्गैया जैसिनदुईसयसे ध्युर जात वाट। वहाँथारु कनाकौनजात वाटै?नैहुईट। जस्तह तस्तह यि ठाउँ म वसोवास सहजहहुईटिगिल यि क्षेत्र (थरुहट) म आउर तमानजातके मनै फे वैठ आईलग्लओ एकठो वरवार क्जभभच क्ष्शभ या क्यअष्भतथवनल। वहुत्तध्युर सालसम संग वैठ्लक ओरसे एक भाषा, संस्कृति, खानपान, भेषभुषालगायतके चिजएक्कनास हुईटिगिल। आभिन फे थारु कहगिलहमार समाज म जात हेर्वी कलसे लगभगदुईसय से ध्युर जातके मनै पाजाइठ, देखपरठ। तब्बमारसे “थरुहट”कलककौनो जातके परिचय नै होक एकठो भुगोलके परिचयहो। कुछ मनै बुह्राईपाकल पहाडी समाजके मनै आभिन फे यि क्षेत्र ह “थरवाट”, “मधेस” या “माल” कैक कठ। याकर आधार म थरुहट ह जातीय क्षेत्र कलसे डोटी, अछाम जैसिनभौगोलिक क्षेत्र ह फे जातीयमानसेक्जीनाअवस्थाआईसेकठ।
दोसर गहिरके सोंचकपर्ना विषयअव्वक सत्तारुढ दलके नेतनसे घनिघनि एक ठो वाट उठटि आईल वा, उ हो तराईके जिल्लापहारसे नैमिलैलसे राष्ट्र विखण्डन हुई कना। तराईके मुलवासीकलकथारुहुंक्रका जाटि्टक विखण्डनकारी हुईट?कनाप्रश्न हरेक सभ्य, शिक्षित, स्वतन्त्रओ निष्पक्षनागरिकहुंक्र सोंचकपर्ना जरुरी देखपरठ। यि विषय म विचार या कचेहरी करवेर कौन समाज, समुदाय, जातीकहाँसे आईल हुईट ओ विगतके ईतिहास ह फे ध्यान से हेरक पर्ना जरुरी देखपरठ। थारु समाजओ ईतिहासके वारेके जानकार, लेखकओ वुद्धिजिवी महेशचौधरीके लिखलपोष्टा ह हेर्वी कलसे थारुनके ईतिहास हजारौं वरसके वा। मने खासकैक खस आर्यनके ईतिहास हेर्वीकलसे यि क्षेत्र म ओईनके आगमनमध्ययुगिनकालमुसलमाननके शासनकालम,भारतके खासकैक गया, काशी, प्रयाग, हरियाणा, लगायतके क्षेत्रमसे हुईल तमान मनैनके कहाई वाटिन। यि विषयमहमनसे फे ध्युर जानकार स्वयं उह समुदायके वुह्राईलपाकल मनैन फे वाटैं। यि त हुईल पुरान वाट, आझकाल्हिक घटना हेर्वी कलसे नेपालके दार्चुलाजिल्लाके कालापानी क्षेत्रके लगभग २९ हजार हेक्टर जमिनभारतीयफौज ह वैठ के देहल?कैकखोजविनहुईक पर्ना वा। याकर अलावापच्छिउँके पहाडी क्षेत्र डडेल्धुरा, वैतडी लगायतके क्षेत्र म २०२४ साल म उ वेलाके रज्वा महेन्द्रके सवारी हुईल समय म वहाँके मनै वहुतसे कुमाउँ क्षेत्रमे घल्ना नम्मा टोपी घालकना वाट ह सम्झक पर्ना वा। अस्तहक नेपालओ ईष्टईण्डिया कम्पनीवीच सन् १८१६ म हुईल सुगौली सन्धीसे नेपालके सिमाना तय हुईल। उ सन्धी म महाकाली लड्याके पुरुव नेपाल कैक्अलिखगिलवा। याकर आधार म महाकाली लड्या मुलभुत (खास) रुप म सझ्या लड्या मानगिलवा। मने वि.सं. २०५२ साल म हुईल “महाकालीनदिके एकिकृत विकास सम्वन्धि सन्धी”म महाकालीअधिकाँश रुप म सझ्या लड्या कैककहगिलवा। ओकर पाछ तत्कालीन संसद्२०५३ असोज ४ केदिनपारित करल सङ्कल्प प्रस्तावम महाकालीलड्या ध्युर ठाउँ म (अधिकाँश रुपमा) सीमालड्या ओसक्कु ठाउँ म (मूलभूत रूपम) सीमालड्या हो कना वाट एक्क हो कैकभारतव्याख्याकरक पर्ना, कना वाट लिखलवा। ऐसिन राष्ट्रघात हुईसेक्ना सन्धी के करल?जैसिनतमानप्रश्न करअ सेकजिनाअवस्थाबा। अस्तहकवि.सं. २०५६ सालके आमचुनाउ के नतिजाआईल पाछ “भारत विरोधीहरुको पत्तासाफभयो” कलकभारत विरोधिनके पत्तासाफहुईल कैक के खुसियालीमनाईल रहैं?कना वाट फे हेरक पर्ना देखपरठ। यिलगायततमान सन्धी, सम्झौताओ समय समय म सार्वजनिकहुईल विचार ओ व्यवहार हेर्वी कलसे के राष्ट्रवादी हो ओ के राष्ट्रघाती कामकर्ल वा कैकअलपत्रवा। हुईसेकठ थारुहुंक्र राष्ट्रिय स्वाभिमानके लागखास देखपर्ना ओ बरवार काम कर नैसेकलहुईहीं, मने थारुनसे राष्ट्रघात हुईनाकामआभिनसम कुछु नैहुइलदावी कर सेकजिनाअवस्थाबा।
राजनीतिक सहमति पाछ कन्चनपुर कैलाली थरुहट हुई या सुदुरपश्चिमहुई अभिनकहनिसेकजाई। मने सुदूरपश्चिमहुई कलसे लौव नेपालसिर्फ कलंककिल रही, काकर कि महेन्द्रवादी संरचनामे लौव नेपालनाई बल्कि पुरान नेपालकायम रहीओ द्वन्द्वके निप्टारा हुइना सहजनिरहीयी बात चाहिं सत्य हो। दोसर बात एकठो राष्ट्रवादी समाज ह विनाआधार राष्ट्रघाती कनाआसयअईनामेरके आरोप लगैनाअधिकार किहु ह फे नै हो। अगर विखण्डनके कारण देखाक यि दुई जिल्लाह पहार म मिलैनाहुई कलसे सदाके लागथारुहुंक्र राष्ट्रघाती समाजके रुप म स्थापितहुईसेक्ही, अइना पिंढी फे थारुनहे दोसर नजरीयासे हेरी ओ अपमानजनकव्यवहार कर सेकठ। जौनब्यबहार, सोंच थारु ओ पहाडीबिचमे पाछेतक झगडाके जड बने सेकठ।