काठमाडौं- प्रत्येक महिनक् अन्तिम शनिवार कैजैटी रलक कीर्तिपुरे थारू कविता श्रृंखलाके चौधौ श्रृंखला चैत २९ गते हुइल। यी श्रृंखलामे प्रायः कविलोग थारू मधेशी नैहुइट, टब फे सरकारसे ओइन जवर्जस्ती मधेशी बनाजैनाके आक्रोश पोख्लाँ।
पिपलारी कञ्चनपुरके कवि प्रकृति पूजा थारू आब् दम डेखैही पर्ना दिन आइल पंक्ति असिक सुनैली–
का बिगार करडेली हम्र थारूमसे मधेशीम झारडेलो
कहाँक् पुरस्कार डेलो, आदिवासी मसे मधेशी कोटामे पारडेलो
आब ट उठी हम्र पुरुबसे पश्चिउँसम
एकचो आउर आब थारून्के डेखा डी दम
कार्यक्रममे दोषहरण चौधरी, सिताराम चौधरी, रमेश दहित, राम बण्डाले, गीता चौधरी, प्रसादु थारू, सम्पतलाल चौधरी, रामदीपक चौधरी, मोहनदास चौधरी, भोलाराम चौधरी, मधुसुदन चौधरी, सुशिल चौधरी, खुशी चौधरी, निशा चौधरी, जयराम चौधरी, नन्दुराज चौधरी लगायत कविलोग रचना सुनैले रहिट।
हमरिहीन मधेशी काजे बनागइल सवाल करे पर्ना बात बर्दियाके कवि महेश कुचिला असिक उठैलाँ–
ढेर हो गिल तमासा, चाल कर्ना बा
सदन ओ सडकमे बवाल कर्ना बा
ई सरकार जब्ब फे अन्याय करठ
खै हमार पहिचान? सवाल कर्ना बा।
कार्यक्रमके बर्का पहुना थरुहट तराई पार्टीके वरिष्ठ नेता तथा सभासद गोपाल दहित पुरुब झापासे लेके पश्चिउँ कञ्चनपुरसमके थारू भाषा अक्के हो कहटी क्रियामे किल फरक रहल बिचार ढर्ला। डोसर प्रसंगमे उहाँ कहलाँ– मधेशी सभासदलोग फेन थारून्के छुट्टे पहिचान बा कहटी–कहटी सरकार संविधानसभा निर्वाचन ऐन–२०७० ओ स्वास्थ्य सेवा ऐन–२०५३ संशोधन इहे चैत ११ गते पास कैके थारून् जवर्जस्ती मधेशी बनाइल, जेम्ने सत्तासीन दल एमाले, कांगे्रसके थारू सभासद जो खलनायकके भूमिका खेल्लाँ। उहाँ आब् थारू पहिचानके लग सडक आन्दोलन बाहेक आउर उपाय नैरहल बटैलाँ। थारू युवा परिवारके अध्यक्ष कृष्णराज सर्वहारीके अध्यक्षतामे हुइल कार्यक्रममे राजेश चौधरी, थारू कल्याणकारिणी सभा धनुषाके जिल्ला अध्यक्ष गुलदेव चौधरी, थाकस सर्लाही जिल्ला अध्यक्ष आशनारायण चौधरी, पूर्वप्रअ प्रेमलाल गच्छदार, त्रिवि भाषा विज्ञानके सहप्राध्यापक डा. दुवीनन्द ढकाल फेन आ–आपन बिचार रख्ले रहिट।
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