थारू ओ बौद्ध समाज

‍चिन्तामणि थारू – २०६८ सालके जनगणना अनुसार नेपालके कुल जनसंख्याके ६.६ प्रतिशत थारू समुदायक् बा। जौन तथ्याङ्कके थारू बिद्धानलोग मानेक तयार नइ बातन। उदाहरणके रुपमे थारू कल्याणकारिणी जिल्ला कार्य समिति रुपन्देहीके कर्म चन्द्र चौधरीके कहाइ बा– रुपन्देहीमे थारून्के कुल संख्या १ लाख २५ हजार हो, बकिन सरकारी तथ्याङ्कके आधारमे जम्मा ७५ हजार डेखइलेबा। जनसंख्याके हिसाबसे थारू चौथा बरका जात होलन।
नेपालमे बसोबास करेवाला हरेक जात जातिनके आपन धर्म संस्कृति ओ पहिचान बा। चाहेजौन जात अपन पहिचान कायम रखेक लिए अपन धर्म ओ संस्कृतिके बचाएक जरुरी बा। बर्तमान समयमे थारू जातिनमे धर्म मन्ना बिषयमे बिभेद डेखाइ परठ। केउ हिन्दु, केउ बुद्ध टे केउ इसु धर्म फिर मानेक शुरु कइले बातन। बास्तबिक रुपमे नेपालके तराईमे बसोबास करेवाला आदिबासी जनजाति थारून्के धर्मके बारेम जानेक लिए थारून्के उत्पत्ति के बारेम जानेक जरुरी बा।
थारू जातके उत्पत्ति सम्बन्धमे ब्याख्या करेक लग थारू शब्दके नामाकरण तथा उत्पत्ति कइसेक होइल एकर बारेम प्रकाश पारेक जरुरी बा। थारू शब्दके उत्पत्तिक बारेम धेर मेरिक तर्क बिलगाइठ। केउ संस्कृतके स्थाणु वा स्थास्नु शब्दसे शुरु होइल कहठ। केउ स्थुर शब्दसे, केउ बुद्ध धर्मके एक शाखा स्थेरबादके स्थेर शब्दसे शुरु होइल हो कहठ। अस्टक केउ रैठाने शब्दमे ठालु शब्दसे शुरु होइल, केउ भारतके सिन्ध ओ राजस्थान बीचके थार मरुभूमिसे अइलेक नाते थारू कना कहाइ बा। एक प्राचीन संस्कृत लेखमे लिखलबा– स्थुर शब्दके अर्थ थारू हो। भारतीय बिद्वान डा. जगदिश नारायण ंिसंह अपन अप्रकाशित शोधपत्रमा द थारू अफ तराई मे थारू शब्दके हिन्दी भाषामे ठहरना अर्थात् एक्के जगहम बैठले रहना से थारू शब्द बनल बा कहिके लिखलेबातन।
महानन्द सापकोटा थरी (ग्राम प्रमुख) से थारू शब्दके उत्पत्ति होइल मनले बातन। थारू शब्दके सम्बन्ध संस्कृत भाषाके स्थल शब्दसे जोरल देखाइठ। थारू शब्दके उत्पत्तिके बारेमे कहत डफे भगवान गौतम बुद्ध निर्वाण पइलेक सय बरस पाछे बौद्ध धर्ममे महासाङ्किक ओ स्थबिरबाद नामे दुई डाँहम बाँटिगैलन। यी दुई डाँहासे एक डाँहा स्थाबिर सम्प्रदायओर शाक्यबशी लोगनके झुकाव होएकचाहि। ओहिसे उ स्थाबिरबादमे आस्था रख्खेवाला शाक्यबंशके नाम स्थाबिरबादी या छोटकरीमे स्थबिर होगइल। कहेक लिए सहजेक नाते स्थबिर से थबिर होके थारू शब्द होइल। यी तथ्यके नेपालके बिद्वान रामानन्द प्रसाद सिंह फिर सही मनले बातन।
थारू बिद्वान तेजनारायण पञ्जियारके अनुसार थारू शब्द था ओ रु मिलके बनल बा। जेकर अर्थ था कहल तराई ओ रु के अर्थ स्थायी रुपसे बसोबास करेवाला मनइ। अर्थात् थारू कहल तराईमे स्थाई रुपसे बसोबास करेवाला मूलबासी आदिबासी हो। थारू जाति नेपालके आदिबासी, मूलजाति तथा तराई ओ भित्री मधेशके धर्तीपुत्र होलन। शान्तिके अग्रदुत गौतम बुद्ध थारूक सन्तान होलन कहिके तमाने बिद्वानलोग प्रमाणित कइले बातन (दहितः २०६२)। गौतम बुद्धके बाबा राजा शुद्धोधन थारू राजा रहन।
सुबोधकुमार सिंहके अनुसार (२०६२) थारूलोग आजतक भि हिन्दुसंस्कारके पूर्णरुपसे नइ अपनैले बातन। थारूलोगन हिन्दुकरण करेक काममे शंकराचार्यके बहुतबरा भुमिका रहे। हमरे यी बात बुझेक जरुरी बा कि गौतम बुद्ध जन्मल स्थानमे भि बौैद्ध धर्मके प्रभाव रहे नइसेकल, कलेसे निश्चित रुपसे तराई क्षेत्रमे रहल बुद्ध धर्म मानेवाला जातके शंकराचार्य तहसनहस कइले रहे। वास्तबमे शाक्यलोग थारू होलन। शाक्य शब्द सखुवा अर्थात् तराईमे एक मेरके रुखवासे आइलहो। उ रुखवाके थारू सखुवा कठन। गौतम बुद्धके राजधानी तिलौराकोट आसपास सखुवक घना जंगल रहे। अभिनतक उ क्षेत्रमे सखुवक रुखवा डेखेक मिलठ। सखुवक रुखवक जंगलमे बैठेक नाते शाक्य नामाकरण होइलरहे। यी सब तथ्यसे प्रमाणित होइठकि थारूलोग शाक्य होलन। बुद्ध ब्राह्मणबादके कट्टर बिरोधी रहन। उ जातपातमे बिश्वास नइकरन, उ प्रजातन्त्रके हिमायती रहन। उ छोट्टेमसे देवीदेवता ओ कोटीहोम जैसिन बैदिक ओ धार्मिक बातमे बिश्वास नइकरन। ओस्ते थारूलोग फिर जातपातमे बिश्वास नइरख्ठन। यी सब तथ्यसे बुद्ध थारू समुदायके रहन कहिके प्रमाणके साथ दाबी करे सेकजाइठ।
साभारः थारु संस्कृति, २०६९, माघ, अंक २३

Leave a Reply

Your email address will not be published.