थारु भित्ते पात्रो, छोट चर्चा

dil bdr chaudharyदिल बहादुर थारु

“थारु भित्ते पात्रो” प्रकाशन हुइत अशौं ३ बरष पुगता। बि.स. २०७० सालसे प्रकाशन हुइत आइल थारु भित्ते पात्रो तमाम उतार चढाव पार कर्ती अशौं फे प्रकाशन हुइल बा। बि.स.ं २०७० सालमे थारु कल्याणकारिणी सभा कैलालीसे ‘थरुहट क्यालेण्डर’ नामक भित्ते पात्रो प्रकाशित हुइल रहे। पैसा पानीके कमीके कारण ०७१ सालमे थारु कल्याणकारिणी सभा कैलाली शुरुवातमे चूपचाप रहल। मने इन्जल नेपाल कहना संस्था अर्थके जोहो करके ०७१ सालमे भित्ते पात्रोहे निरन्तरता देहती ‘थारु भित्ते पात्रो’ निकारल। भित्ते पात्रोहे निरन्तरता देहलके बाद थाकस फे जिल्ला बिकास समितिसे अर्थके जोहो करके जेठ महिनामे भित्ते पात्रो निकारल। अशौं (बि.स.ं २०७२ साल) इन्जल नेपाल कहना संस्था पुष ३० गते बजारमे “थारु भित्ते पात्रो” आन सेक्ले बा। शायद कुछ पाछे थारु कल्याणकारिणी सभा लगायत कुछ संस्थासे आउर पात्रो फे प्रस्तुत हुइहीं कहना आश हो। नेपालके इतिहास हेर्बी कलेसे थारु भित्ते पात्रो थारुहुक्रनके चालचलन रीतिरिवाजहे केन्द्रीत करके लावा साल माघीके अवसरमे कैलालीसे निकारगिल पहिल पात्रो हो। जिहीहे अब तमाम संघ संस्था फे आत्मसात करे भिरतैं।

भित्ते पात्रोक शुरुवात ओ समस्या

सकहुन पता बा कि राज्य यदि कौनो जातजातिहे उठाई चाहठ कलेसे उठा देहठ, डुबाई चाहठ कलेसे डुबा देहठ। थारुनके सन्दर्भमे फे राज्यके ब्यबहार अस्ते बा। राज्यके चालचलन, नीति ओ नियत अभिन फे खासे ठिक नाइहो। हमरे देख्ती बाटी जब जनै पूर्णिमा आइठ, तब सरकारी बिदा, जौन सालसे शेरबहादुर देउबा देशके प्रधानमन्त्री बनठ, तो गौरा पर्ब सुदूरपश्चिमके महान पर्ब बने पुगठ। थारुनके गुरीया, अतवारी सुदूरपश्चिमके महान पर्ब कबो नाइबनठ। दशैंमे महिनौं दिन बिदा, काग पुजा, कुकुर पुजा, का का पुजा हो, का का नि?सबमे बिदा, मने थारुनके चाडपर्ब, तर त्यौहारमे न तो सरकारी बिदा न तो स्कूलीया मष्टरवनसे दैजिना महिनौ दिनके मनमौजी बिदा। अतरै किल नाई, थारुनके गुरीया (गुरही), अतवारी अइलेसे थारुनके बिचमे अन्यौल।कोई आज मनाइता, कलेसे कोई काल्ह।  बैशाख अइलेसे शुभकामना आदान प्रदान, हिरो हिरोइनके फोटु, शुभकामना कार्ड पठाइक पठावा हुइना, लावा क्यालेण्डर बजारमे आजिना, माघ अइलेसे सब चूपचाप, सुनसान। सरकार ओ शासकहुक्रनके सामन्ती प्रबृत्ति ओ थारुनके दास मनोबृत्तिसे जिउ हैरान। मनमे प्रश्न उठे, आखिर माघ थारुनके लावा साल ओ सबसे भारी त्यौहार हो कलेसे, लावा सालके सूचक का हो? हमरे लावा सालहे जनैना कौनो गतिबिधि काकरे नाई कर्ना? हमरे शुभकामना आदान–प्रदान, शुभकामना आदान प्रदानके के लाग एक आपसमे कार्ड काहे नाई पठैना? यी पंक्तिकार एक दुई बरष तो माघमे लर्कन हौस्याके शुभकामना कार्ड फे पठ्वाइल। थारु नागरिक समाजसे, थारु कल्याणकारिणी सभासे आयोजित बैठक, अन्तर्क्रियामे छलफल फे चलागिल। यिहे बिचमे बुन्दीलाल चौधरी जी अइना दिनमे थारु भित्ते पात्रो निकारे पर्ना प्रस्ताब फे धर्नै। थारु कल्याणकारिणी सभाके सभापति प्रभातकुमार चौधरी, उपसभापति लाहुराम चौधरी, सचिव माधव चौधरीयी बातमे सहमति जनैनै। क्यालेण्डर तयार कर्ना, तिथिमिति जुरैना काम यी पंक्तिकारहे दैगिल। अनि बि.स.ं २०७० सालमे पहिलचो थारुनके लावा साल माघसे थारु भित्ते पात्रो निकर्ना निर्णय हुइल हो। मने प्राबिधिक कारणसे माघमे निकर्ना पात्रो थोरचे ढिला हुई पुगल। ‘थरुहट क्यालेण्डर’नाउँ दैगिल पात्रो संख्या दश हजार रहे। पहिल साल हुइलक ओरसे सोचल हस नाइहुई पाइल, थोरचे घाटा फे लागल। थाकसके सभापतिक नाते प्रभातकुमार चौधरीहे कुछ घाटा फे बेहोरे परल। जेहोस्, सकहुनके सल्लाह ओ सहयोगसे थारु क्यालेण्डरके शुरुवात हुइल, जौन मजा पक्ष हो।

०७१ सालमे थाकस सभापति लाहुराम चौधरीसे कहगिल कि भित्ते पात्रो निकारी। वहाँ अर्थ अभावके कारण सम्भव नाइरहल बतैनै। एकसाल निकारके चूपाजिना, बदनाम कमैना ठिक नाइरहे। पात्रोहे निरन्तरता देहना चाही कहना मोर मान्यता रहे। ओकर लाग संस्थाके जरुरत रहे। भित्ते पात्रोहे निरन्तरता देहेक लाग ओ तमाम काम करेक लाग २०७१ साल माघ ५ गते ‘इन्जल नेपाल’ संस्था दर्ता कैगिल, पात्रो फे निकारगिल। मने कारणबश माघमे निकारजिना पात्रोसमयमे प्रकाशन नाइहुई सेकल। फलस्वरुप सोचल हस घर घर नाइपुग पाइल। ओहोर जेठ महिनाओर जिल्ला बिकास समितिके सहयोगसे थाकस कैलाली फे पात्रो प्रकाशन करल, मने उ फे सरकारी ओ गैरसरकारी कार्यालयमे किल सीमित रहे पुगल। यी साल (२०७२ साल) मे भर सालके पहिल दिनमाघ १ गते काठमाण्डौ उपत्यका नाइपुग्ले से फे धनगढी बजार, पहलमानपुर बजारमे ‘थारु भित्ते पात्रो’ पुग सेकल बा। ओ ठाउँ ठाउँ पुग्नाक्रम जारी बा।अब्बे ‘थारु भित्ते पात्रो’सकहुनके आकर्षणके केन्द्र बिन्दू बने पुगल बा। अइना दिनमे यी संख्या आउर बर्ही कहना हमार बिश्वास हो।

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सँघरीयनके सुझावसँगे पात्रोमे थपघट ओ सुधार

पहिल साल निकारगिल ‘थरुहट क्यालेण्डर’ मे नाउँहे लैके खूब प्रतिक्रिया आइल। हमरे थरुहट भूमि हो, तबमारे थरुहटमे निकारगिल पत्रिकक नाउँ फे ‘थरुहट क्यालेण्डर रहना चाही कना सोंच बनैली। मने मनैनके सोंचाईमे पात्रो सिर्फ ओ सिर्फ थरुहट तराई पार्टीक हो कहना होगिल। तबमारे ०७१ सालमे निकारगिल पात्रोके नाउँ हमरे ‘थारु भित्ते पात्रो’ धर्ली। कतिपय सँघरीयनके सुझाव अनुसार हमरे थारुनसे मागजिना बिदाके दिनहे फे लाल रङ्गसे रचादेली। लाल रङ्गसे रचाइल कारण तमाम लर्का उ दिन स्कूल नाइजाके बिदा मानके घरे बैठदेनै। यिहके सुधारे पर्ना सुझाव आइल। ओस्तके थारु भित्ते पात्रोमे थारुनके चाडपर्वहे किल समेट्लेसे दोसर भित्ते पत्रिका किनही पर्ना बाध्यता सिर्जलक ओरसे भित्ते पात्रोमे सब जातजातिनके चाड पर्बहे फे समेटे पर्ना सुझाव आइल। हमरे सुझाव अनुसार यी सालके भित्ते पात्रोमे सरकारी बिदाहे लाल रङ्ग ओ थारुनसे मागजिना बिदाके दिनहे निला रङ्ग देहले बाटी। ओस्तके भित्ते पात्रोमे सुझाव अनुसार हमरे सब जातजातिनके चाडपर्बहे फे समेट्ले बाटी।

दुःखके बात

थारु संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बर्द्धन कर्ना, संस्कृतिमे एकरुपता अन्ना उद्देश्यसे प्रकाशित करगिल भित्ते पात्रो, अब्बे धेरहस थँरीया, बठिनिया, जवानहुक्रनके चासो ओ आकर्षणके बिषय बनल बा, जौन खुशीक बात हो। मने कतिपय गोचालीहुक्रे अपने मार्ग निर्देशन फे नाइकर्ना, ओ थारु भित्ते पात्रो अनुसार फे नाइचल्ना कामसे यी पंक्तिकार दुःखित बा। मनमौजी रुपसे गुरीया मनाई लग्ना, अर्थ न पर्थके तर्क देहना कामसे न थारु संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बर्द्धन सम्भव हो, न तो संस्कृतिमे एकरुपता सम्भव हो। तबमारे येमने सकहुनके ध्यान जैना जरुरी बिल्गठ।

थारु संघ, संस्था, शिक्षक, जानकारहुक्रन मोर अनुरोध

‘थारुभित्ते पात्रो’ प्रकाशन कर्ना हमार शौक नाई बल्कि बाध्यता हो। यदि हमार चालचलन संस्कृतिहे खस भाषी क्यालेण्डर समेटत कलेसे येकर आवश्यकतै नाइपरत। हमार अतवारी, चिरैं जैसिन चाड पर्व मनाइबेर समस्या पर्ना, कोई आज मनैना, कोई काल्ह मनैना कारण से फे येकर आवश्यकता परल हो। सक्कु जे जनही पर्ना बात का हो कलेसे हमार मानजिना गुरीया/गुरही, अष्टिम्कि, अनत्तर, दशैं, देवारी जैसिन चाड पर्व, त्यौहार खस भाषी क्यालेण्डरमे फे उल्लेख रहठ। गुरीया नाग पञ्चमीक दिन मनाजाइठ, अष्टिम्कि भादौ महिनक अँधरीयाके अष्टमी तिथि, अनत्तर भादौ महिनक ओजरीयक चतुर्दशीक दिन मानजाइठ। मने अतवारी भादौ महिनक ओजरीयक पहिल अतवारहे मानजाइठ। नाग पञ्चमी सावनमे परे या भादौमे परे, गुरीया मानजाइठ। गुरीया सावनमे मनाई परठ कहना तर्क समुदायहे झन अनिश्चितताओर धकेल्ना किल हो। मने चिरैं पर्ब भर महिनासे सम्बन्धित बा। चिरैंचैत महिनामे किल मानजाइठ। चैतके ओजरीयामे, अन्तिममे शुख परी तो शुखके, सोम्मार परी तो सोम्मारके चिरैं भागजाइठ। यी साल चैतके ओजरीयामे अन्तिममे सोम्मार परल बा, तबमारे चैतके २९ गते अशौंक चिरैं त्यौहार हो। हमार गुरुवाहुक्रे, भलमन्साहुक्रे चिरैंक दिनहे ध्यान देहना जरुरी बिल्गठ। यदि एकरुपता अन्ना हो कलेसे यी नियमहे मनही पर्ना जरुरी बा। गुरुवाहुक्रे अपन लेहल गाउँ गिराउँमे अपन अनुपस्थितिमे चिरैंक दिन,१ दिनके लाग हुइलेसे फे पुजारी नियुक्त कर्ना चाही, ताकि सब ठाउँ चेलीबेटीहुक्रे सँगे चिरैं मनाई सेकैंह।

ओस्तके थारु सम्बद्ध संघ संस्थाहुक्रे, थारु प्रधानाध्यापक रहल स्कूलहुक्रे ‘थारु भित्ते पात्रो’ अनुसार समुदायके माग अनुरुप बिदाके ब्यबस्था कर्ना आवश्यक बिल्गठ। बुझे पर्ना बात का हो कलेसे थरुहट क्षेत्रमे यदि हमरे खस भाषी क्यालेण्डर अनुरुप किल चलती कलेसे उ काम समग्र थारु संस्कृतिके अपमान हो, थारु समुदाय उपरके अपमान हो, अन्याय हो। खस चाड पर्बहे मनमौजी बिदा देहना, अनि थारुनके चाडपर्बमे बिदा नाइदेहना काम न्यायसंगत हुइही नाइसेकी।

सारांश

ओरौनीमे का कहेसेकजाइठ कलेसे ‘थारु भित्ते पात्रो’ प्रकाशनके अभियान कलक थारु संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बर्द्धन कर्ना, संस्कृतिमे एकरुपता अन्ना अभियान हो। संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बर्द्धन तबे हुई जब सक्कुजे येकर बारेम बुझब ओ सहयोग करब। गाउँक जानकार, भलमन्सा, बरघर, शिक्षक, गुरुवा, अगुवा सकहुनके सहयोगसे किल यी सम्भब बा। सहयोगके लाग ‘थारु भित्ते पात्रो’ हेर्ना जरुरी बा। बिशेषत :  गुरीया/गुरही, अतवारी, चिरैं पर्बके बारेमे सबजे ध्यान देहबी कलेसे समस्या समाधानमे सहजता हुई ओ अभियान सार्थक रुप लेहे सेकी कहना हमार अनुरोध हो। धन्यबाद!

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