बुद्धसेन चौधरी- विश्वमे मानव समुदायके शान्ति पूर्वक जियैके लेल एकटा पेरा देखाईबला महा मानव गौतम बुद्धके सम्मान, आदर, सद्भाव, भक्तिभाव, समर्पण या ज्ञान प्राप्तिके खातिर बुद्ध जयन्ती मनावल जाईछै । शान्तिको अग्रदुत यि महा मानवके जनम ई.पू.५६३ मे नेपालमे कपिलबस्तुके तिलौराटमे बैशाख पुर्णीमाके दिन भेल रहै । उ ई.पू.४८३ मे ८० बरष के उमेरमे बैशाख पुर्णीमेके दिन महानिर्वाण (देह त्याग) करने रहै । वनङ त येकर जनमके तिथिमे कुछ विवादो छै मगर मिति मे कोनो किसीमके सन्देह नै छै । वैशाख पुर्णीमा कहु या Full moon Day of May कहु वोई मे सैव के एकमत छै । संसारमे येह्या एकटा महापुरुष चियै जेकर जनम, ज्ञान प्राप्ती या देह त्याग एके दिन बैशाख पुर्णिमा के दिनमे भेल रहै । तै दुवारे बुद्ध जयन्ती बैशाख पुर्णीमाके दिन पुरे मानव समुदाय धुमधाम के साथ मनाईछै ।
नेपालमे बिक्रम सम्वत २००८ साल जेष्ठ ८ गतेसे संस्थागतरुपमे बुद्ध जयन्तीके दिन सैवसे पैहने सार्वजनिकरुपमे छुट्टी के ब्यवस्था भेलै या वोहै दिनसे निरन्तर छुट्टी भ्यारहलछै । तैहनङ बि.स. २०१२ फागुन ७ गते लुम्बिनीमे बुद्ध जयन्तीके दिन हत्या हिंसामे रोक के घोषणा करलकै । सारा विश्व ऐकर जनम दिन बहौत हर्षोलास के साथ मनाईछै । संयुक्त राष्ट्रिय संघमे सन १९९९ डिसम्बर १५ के दिन सर्वसम्मती से प्रस्ताब नम्बर ५४\१५५ से बुद्ध जयन्ती के दिन The International recognition Day of Vesak at Un and other Un offices के रुपमे मनावैके लेल स्विकृत करलकै या सन २००२ से सार्वजनिक छुट्टी सेहौ दैले लागलै । यैसे हम सैव नेपालीके छाती गर्व से उच भ्या गेलछै । खास कैरके थारु सब जे वोकरे धियापुता चियै। ओकरो यैसे आपन अलग्गै पहचान भेटलै । वैशाख महिना थारु सब के खास मैहना चियै। काम काज गाम घरमे वोतहेक नै रहै छै । सब लोक सब वियाह सादी या प्रवचन गोष्टीमे लागल रहैछै । वोकरा संयुक्त राष्ट्र संघसे पहचान पावनाई अपने आपमे बडका उपलब्धि चियै । आई संसारमे कानो चिज के सैब से बेसी प्रकाशन भेल छै त उ बुद्धके उपदेश चियै । आई संसारमे सैबसे बेसी मुर्ती या शालिक केकरो बनलछै त बुद्धके बनलछै ।
बुद्ध २९ बछर के उमेरमे घर त्याग करलकै । ३५ बछरके उमेरमे पिपरके गाछ तरमे ज्ञान के प्राप्ती करलकै कै या ८० बछरके उमेरमे शरिरके त्याग करलकै । वोई बिचमे ऊ ८४ दाईव सार्वजनिक रुपमे प्रवचन देने रहै । ओकर प्रवचन अहिंसा, शान्ती, करुणा मैत्रीमे अधारित एक शान्ती धर्ममे केन्दित रहै । शान्ती या बुद्ध धरम एक दोसरके प्रयावाची के रुपमे छै । संयुक्त राष्ट्र संघके पञ्चशिल सिधान्त यहै के जडमे अडकल छै । ई.पू. छैठौ सताब्दीके धार्मीक क्रान्तिके युग कहै के कारण बुद्ध धरम के जनमे चियै । बुद्ध बहौत किसिमके धरम या बिचारके आपन बाणी या उपदेशसे खण्डन करैत जनता या रजा के एक जगहमे लावैले सफल भेलै। तहै दिनसे धरम राष्ट्रिय घेराके तोईरके सिमा पार भेलै या अन्तरराष्ट्रिय रुपमे स्थापित भेलै । वोई समयमे राज्य से जारी करलहा धरमके मानैले परै छेलै । बुद्ध धरमके स्थापित भेलापर जनताके वोई घेरा पार कैर सकैवला चलनके सुरुवात भेलै । यि धरम आदमिके शान्ती पुर्वक जियै के तरिका सिखेलकै ।
बुद्ध सारनाथमे सैबसे पैहने आपन चेलासवके पहौनका प्रवचनमे बेसी से बेसी लोकके हितके खातिर, बेसीसे बेसी लोकके सुखके लेल, लोक उपर दया करैके लेले या मनुष देवता सैबके कल्याणके लेल तोरौरके संसारमे बिचरन करैले परतौ कैहके उपदेश देने रहै । अन्तिम उपदेशके रुपके कुशीनगरमे जिवनके अन्त अन्तमे जव सैव कोईयो कानैत रहै त कहलकै जेकर जनम हैछे ओकर मरण जरुरे हैछै । उ वोहो कहलकै कि जे हमर शरिरके चिन्हलकै उ हमरा नै चिन्हलकै जे हमर सिद्धान्त या उपदेशके चिन्हलकै उ जरुर हमरा चिन्हलकै ।
विश्वमे शान्ति या अमन चैन के खातिर सैव मानव समुदायके बुद्धके देलहा उपदेशके मानैले परतै । येकर खातिर यै धरमके धारण कैरके चिन्तन मननके साथ ओईमे बिचरन भ्याके दोसरोके समाहित करैले परतै । खास कैरके नेपाल सरकारके साथे साथ यैसना के अगुवा राजनितिज्ञ, सरकारी गैर सरकारी संघ संस्था, बुद्धिजिवी,पत्रकार, बहौत किसिमके पेषामे लागलहा महानुभाव सब के साथे साथ सर्वसाधारण सैवके बुद्ध जयन्तीके एकटा औपचारिकतामे मात्रे नै बाइन्हके येकर संरक्षण या विकाश करैत यि धरमके पालन करे परतै । देश मे स्थिरता कायम कैरके येकरा बिश्वके नमुना शान्ती क्षेत्रके रुपमे विकास करैले परतै । वनङ त नेपाल सरकार,लुम्बिनी भ्रमण बर्ष मनेलकै या रु. ५०,००० अमेरीकी डलर के गौतम बुद्ध अन्तर्राष्ट्रिय शान्ती पुरस्कारके स्थापना करलकै । सैवके पैहने यि पुरस्कार सन २०१० मे जपानी नागरिक तादातोसी या तोकीहिसा के प्रदान करने रहै । उ सव हिरोसिमा या नागाकागीके मेयर रहै । लेकिन यैसे मात्रे नै हैवला छै । येकर खातिर येकटा अन्तर्राष्ट्रिय अभियान चलाईले परतै या वोकर निरन्तरता दैले परतै । थारुवो समुदायके यैमे बेसीसे बेसी लागैले परतै । वनङ त आई काईयो वेसी से वेसी बुद्ध के उपदेशके पालन करैचछै त उ थारुवे चियै । वोकर नश्लेमे शान्ती या अहिंसा छै । मगर दुखके बात उसब यि मानैतो पर हम बुद्ध धरम मानै चियै से नै कहैले सकैछै । कियाकत वोकरमे हिन्दुके प्रभाव छै । कतहेक ठाममे त यि पुर्णीमाके दिन बोईलो चढहाबै छै जेकि निक चिज नै चियै । कम्तिमे यै दिन काटमार बन करैले परतै । सरकारीयो तरफसे यैमे बिषेश जोड दैले परतै ।
अन्तमे बुद्ध जनमके अवसरमे सैव कोईके येकरा एकटा औपचारिकतामे मात्रे नै बाइन्हके येकर उपदेशके आपन ब्यवसयिक जिवनके साथे साथ एकटा जिवन पद्धतीके रुपमे धारण करैले परतै। बुद्धके उपदेश सहि रुपमे पालन करनाईयै ओकर प्रतीके सम्मान या अदर चियै।