गइल बरसहे घुमके हेरेबेर–१

कृष्णराज सर्वहारी
कृष्णराज सर्वहारी

फिलिमके चक्का घुमैहस समय कत्रा हाली घुमठ। हेर्टी हेर्टी गइल दिन, अठ्वार, महिना, बरस ओराके डोसर बरस पैला टेकठ। २०६९ साल ओराके २०७० साल पौली टेक सेकल। यी अवसरमे मै गैल बरसके अपन कुछ टीट–मिठ सम्झना बाँटक् चाहटुँ। 
२०६९ के वैशाख १ गते वर्दियक सेमरहवा गाउँमे मना गैल रहे, गोचाली दिवसके वयालीसौँ बरस गाँठमे। साहित्यिक फूलरियम झुला झुल्टी यी बरसके शुरुवात हुइल रहे। डोसर रोज थारू पत्रकार संघक बर्दियक गठन कैगैल रहे। बैशाखके पैल्हा अठ्वार जो देउखर गढ्वामे इक्वेल एक्सेसके सहयोगमे दुइ दिने पत्रकारिता तालिम चला गैल रहे।
वैशाख ११ लोकतन्त्र दिवस। इहे रोज देउखुरी साहित्य तथा संस्कृति मञ्च देउखर गढवामे थारू कल्याण कारिणी सभाके हलमे पुरस्कृत करल। पुरस्कार बुझलक डोसर रोज दाङ गुलरिया एकठो भोजमेँ सामेल हुइना अवसर मिलल रहे। दुलहा बाभन, दुलहनीया थारू, वकायदा वरात आइल रहे। यी क्रान्तिकारी कदम लागल रहे। मने पाछे बुझेवेर घरक मनै नै स्वीकारल ओर्से इण्डिया भागके करीब एक बरस रहल ओ औपचारिकता डेहक लग भोज करल सुन्लुँ टे वास्तविक छलाङ मारल हस नै लागल। इहे अठ्वार एसएनभी देउखरके थारू गुरुवन्के अवस्था बारेम कुछ दिन फिल्ड घुमाइ हुइल।
वैशाख १६ गते काठमाडौ नक्सालके क्राउन प्लाजामे थारू राष्ट्रिय राजनीतिक सम्मेलनमे सहभागिता रहल। वैशाख ८ ओ ९ गते चितवनमे थारू राष्ट्रिय गोलमेच सम्मेलन रहे। चितवन भेलाके थरुहट ३ प्रदेश ओ काठमाडौँमे थरुहट एक प्रदेशके माँगन रहे। इहीसे थारू नेता मिलल जान नैपरल।
वैशाखमे एकठो खुशीक खबर मिलल। संस्कृति मन्त्रालयसे गुरुवाबारे किताब प्रकाशनके लाग प्रस्ताव पेश कलेर्् रहूँ, ७५ हजार रुप्या मिलना खबरके गुरुवा अनुसन्धानक हाली ओरवइना जाँगर चलल।
वैशाखके २९ गते बर्दियासे भाइ नरेशलाल कुसुम्या फोन कर्ला– नवलपरासीमे थारू सँग्राहलय जरा गैलक ओर्से विरोधस्वरुप प्रतिकात्मक रुपमे मुस मारके खैना अभियान चलाइल बटैला। वैशाखमे लगातार १७ दिन अखण्ड सुदुरपश्चिमके मागके विरोधमे कैलाली, कञ्चनपुर बन्द रहल। मने जेठ २ मे किल यी बारेम एकठो लेख राजधानी दैनिकमे लिखे सेक्गैल। गोरखापत्र थारु पृष्ठ ओ आपन सम्पादनके जनपहुँच मासिकबाहेक ४ महिनक बाद दैनिक पत्रिकामे लेख आइलमे लिखाइ निरन्तर नै रहल महशुश बहुइल। मने लगत्ते जेठ ९ गते थरुहटके रक्षाबारे गोरखापत्रम लेख छपके राहत महुशस कराइल।
दुइ तीन फेरा दौडाइके वाद जेठके पहिला अठ्वार छविलाल कोपिलाके सम्पादनमे निकर्ना लावा डग्गर त्रैमासिकके लग प्रज्ञा प्रतिष्ठानमे सहयोग स्वरुप ७ हजारके चेक लेहे सेक गैल। टीकाराम उदासीक अतिरिक्त त्रैमासिकके फेन सँगसँगे ५ हजार निकार डेँलु। सँघरियन साहित्यिक आन्दोलनमे लागलमे कुछ सहयोग करे सेक्लकमे सन्तोष लागठ।
जेठ ५ गते मोर बाबा उहाँक गुरु जयगुरुदेव विटल दुःखद समाचार सुनैँला। मोर बाबा डाई, भइया बहुरिया जय गुरुदेवके अुनयायी हुइँट। मने उहाँलोग थारू धर्महे आब आके वेवास्ता करल डेख्के नै मजा लागठ। यी महिनम विनीता चौधरीक संयोजनमे थारू भाषक ‘दोजीया’ नाटकके रेकर्डमे ढेर समय लागल। एक दिन ते विहान ११ बजेसे साँझ ८ बजेसम रेकर्डमे रहुँ, उ फेन नेपाल बन्दके रोज डरा डरा मोटसाइकल चलैटी गैल रहुँ। आपन ओ आनक संयोजनमे काम कैना बरा फरक रहठ कना उ दिन महसुस हुइल रहे।
२७ दिनके बन्दके वाद थरुहट संयुक्त संघर्ष समिति ओ सरकारबीच १० बुँदे सहमति जेठ ११ गते हुइल। ३ प्रदेश तराइहे करुइया हुइला। आब बन्द खुलल, जनता राहत पैही कलक अखण्ड सुपवाले सहमतिक विरोधमे बन्द करल सुन मिलल।
चैत, वैशाख, जेठ यी ३ महिना मोर डेरा कीर्तिपुरमे पानीक आउर साँसट लागठ। ओहेसे दुइ दुइ अठ्वार अँटरके वरवारकपडा लेके डेरासे करीब ४ किमी डख्खिन दुधपोखरी लहाइ जैना बाध्यताहे स्वीकार कै गैल। बैशाखमे मैगर सँघरिया शत्रुघन ओ सुरेश चौधरी दुधपोखरीक आशपाश जग्गा किन्लक वयाना डेहल सुनले रहुँ। लहाइ जाइबेर बुढियै कलुँ– महुँ जग्गा किनम राजधानीम्। उ कहल–’टोहार बात, कुकरक पाद’।
जेठके डोसर अठ्वार शायद ४ महिनक बाद मोर पीएचडीके शोध निर्देशक चुडामणि बन्धुक घर सानेपा गैलँु। ओकर कहाइ रहिस –टै टे हेरा गैले। कम्तीमे दिनके ४/५ घण्टा टायम डे, नै टे पीएचडी समयमे कहाँ ओराइ। मने ४/५ घण्टा टे दूर, ४/५ महिना फेन यकर पन्ना बिल्टाइ नैसेक्जाइठो, धत्तेरी कि।
जेठ १४ गते सँविधान घोषणा हुइना दिन। संघरियन संविधान सभा भवन घेराउ करक बलाइटिहिट। मने जाँगर नै चलल। रात ११ बजे सम संविधान जारी हुइल समाचार सुने नै मिलल, उल्टे मंसिर ७ गते डोसर संविधान सभाके चुनाव करैना घोषणा कै गैल। इहे समाचार सुनके खिसि्रक्क रहलमे मोर ससुराजी गम्भीर बेराम होके नेपालगञ्जसे काठमाडाँैँ दवाइ कराइ अइना हुइलाँ। संविधान सभाके अवसान हुइलक ४ दिन वाद ससुराजीके फेन अवसान हो गैलिन। कुछ दिन पहिले सँघरियन सापट डेले रहुँ। आव रकम नै होके परेशान, दुःखके वँधवा टव फुटल जव ससुुराजीके लाश लैजैना एम्बुलेन्सहे डेना रकम फेन हमार ठेन नै रहे। जेठ महिना उहाँक क्रियाकर्म, सासु लरटेज हुइल ओर्से दरदवाइमे विटगैल। यी वीचेम समय मिलाके देउखर अपन काम कर्ना आफिस काठमाडौ जनपहुँच मासिकके सेटिङमे अइलुँ।
असार ३ गते देउखर देउपुरमे असारी पूजामे सामेल रहुँ। पानी नै परके बरी उम्मस रहे। पानी पर्ना पूजा कै गैल कि का, सन्झा बुन्दी बुन्दा पानी परल, यी गुरुवन्के शक्ति हो कि नै? खोजके विषय हो। देउखर मजगाउँमे कमलरी सुम्बन्धी जनजाति महासंघके गोष्ठी ओ थारू पत्रकार संघके घोराहीम करल पत्रकारित्ाा तालिममे असारके पहिला अठ्वार सहभागिता जना गैल। साउन २ (२०५७) का करे थारून् लग महत्वपूर्ण बा, कना प्रश्नके उत्तर कोइ सहभागी नै डेहेे सेकल। यी बातसे पत्रकारिता सिख्टी रहल युवालोग अपन समुदायके ज्ञानमे फेन बिल्कुल कोरा रहल पटा चलल।
असारके टिसर अठ्वार देउखर कालापानीक् शिव बहादुर चौधरी भाइ कुपण्डोलमे अपन दुकानके सटर डेखैँला। डाइरेक्ट चीनके ग्वाङझाउसे घरक ‰याल, ढोका बनैना २० लाखके सामान नन्ले रहिँट। एक महिनक सटरके भाडा २५ हजार कटि। लेउ सँघरिया प्रगतिपथमे लम्कला कैहके सन्तोष लागल।
असारेम जो मझली छाइ बुनु चौधरीहे एनआइसी कलेज, डिल्लीबजारेम भर्ना कलर्ुँ। पत्रकारित्ाा विषय लेहल, चलो एकठो छाई टे बाबक् डगर हेरी कि कना अश्रा लागल। एसएलसीम मजा नम्बर नन्लक ओर्से ७५ प्रतिशत छात्रवृत्ति मिल्लिस। फिस नाउँ भरीक बुझाइ पर्लकमे कौन अभिभावक खुशी नै रही।
मझली छाईक असार २८ मे ओ वर्की छाईक साउन १ गते जन्म दिन, टौन नै मना गैल, मोर गृहमंत्री बाबक् मृत्युक कारण असौं कौनो टिउहार नै मनैना कले बा। मने सवन्या भर अपन मेरसे मनैँलु। साउनके पैल्हा अठ्वार एसएनभीके गुरुवा सम्बन्धी रिपोर्टके पैल्हा ड्राफट तयार पर्लु टे वरी फरछ्वार लागल। इहे समयमे दाङके भुवन भाइ (गजलकार) दिल्लीक् जवाहरलाल युनिभसिर्टिके पह्रे जैना नाउँ निकारल सुखद खबर सुनैलाँ।
साहित्य लेखनके बन्द सत्रमे बैठके लिख्ना अवसर कमे मिलठ। साउनके ५/ ६ गते दक्षिणकाली जैना डगर खहरे कना ठाउँमे कृष्ण गुरुङके घरेम एक दर्जन बाल साहित्य रचुइया साहित्यकार बन्द सत्रमे बैठ्ली। प्रकृति, जीवजन्तुके विषयबस्तु बनाके कथा रचना कैके सुनैली, समीक्षा कैली, बादमे यी किताबके रुपमे ‘माटोको माया’ शीर्षकमे छपल।
साउन ८ गते बारा जिल्लाके सँघरिया राजकुमार चौधरी विहानी फोन करल। ‘अरे जियल बाटे यार, ले ढुक्क हुइलुँ ‘ कहल। एकरोज पहिले अर्घाखाँचीमे माइक्रो दुर्घटना होके १५ जाने मुँवल, ओम्ने दाङके कृष्ण चौधरी फेन परल समाचार सुनके उ हड्बडाके फोन कर्ले रहे। बादमे पटा चलल लाल मुरै बोइ गैल उ टे मोरे देउखर बोधपुरके मिटवा रहिँट।
साउन १९ देउखर गढवामे नेपाल आदिवासी जनजाति महासंघके आमसभामे कमलरीन छात्रवृति बँट्ना कार्यक्रम रहे। केन्द्रिय अध्यक्ष राजकुमार लेखी फेन आ सेकल रहे। मै यी कार्यक्रमसे अप्रत्यक्ष रुपमे जुरल बटुँ। मने उ रोज पानी यी मेर खच्कल की सैलाफ आ गैल। काठमाडौँसे देउखरके कार्यक्रममे सहभागी हुइ गैल मनै कार्यक्रम स्थगित होके दिक लागल। मने डोसर रोज पत्रिका हेरेबेर देउखरके बारेम १३ जनहनके सेनक हेलिकप्टरसे उद्धार, ३ जनहनके मौत, एक वेपत्ता, एक उद्धारकर्मीके मृत्यु सुनके बाह्रके डरावाना चेहरा डेखगैल। २० गते लमही देउखर धरमशालामे नेपाल आदिवासी जनजाति महासंघ चैलाही गाविस समन्वय समितिके आयोजनामे चैलाही गाविसस्तरीय गुरुवन्के समस्यक बारेम भेला बैलेले रही। पहिला रोज गुरुवन चिमचाम रलाँ। डोसर रोज दिनेके मिझनी खवाडेली टे हारिक जिटा मन्टर सुनाइ लग्लाँ। हेरी डारुक् कमाल। रेकर्ड सुन्लक टे रेकर्ड हुइले नै रहे, इहीसे दुर्भाग्य आउर का रही।
साउनके अन्तिम अठ्वार शुभलाभके काम हुइल। साढे ३ बरस पहिले घोराहीम २ लाख ३५ हजारमे करीब आधा कठ्ठा जग्गा किन्ले रहुँ। बाँकेक् साहित्यकार संघरिया इन्द्र भण्डारी हे ७ लाख ४० हजारमे बेच्लूँ। ५ लाख ५ हजार नगद हाँठ लागके लखपति हस बल्ले लागटेहे।
साउनके २५ गते अशोक थारूक घर दाङ, बैवाङ ३ रोज अष्टिम्की मनैलुँ। पीएचीडीक् लग अष्टिम्कीक् कुछ गीत सँकलन कर्लुँ। रात दिन गाके नै ओरैना गीत जन्नी विना पैसाके गाइक कहाँ मन का करही। कुछ घर अष्टिम्कीक् चित्र बनाइल हेर गैल, मने पुरान परम्परागत रुपमे बनाइल नै डेख्के पुर्खन्के बचाइल सँस्कृति विलैना हो गैल कैहके ठकठक लागल। अष्टिम्कीक् चित्रहस यी लेखमे पन्वा डारे टे नै सेक्गैल, मने अत्रा बात सम्झे सेक्लक कारण मोर नियमित डायरी लेखनके बानी हो। का अपनेनके दैनिक डायरी लिख्ठी? अपने भाषामे दैनिक डायरी लिख्के टे हेरी, बान परि टे मोह्न्या जैबी (बाँकी डोसर अंकमे)

साभारः २०७० बैशाख ११, गोरखापत्र दैनिक

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